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जयपुर। कोरोना का असर कम होने के साथ जनजीवन सामान्य स्थिति में लौट आया है। धार्मिक स्थल, बाजार, स्कूल-कॉलेज, दफ्तर रेस्टोरेन्ट सहित कमोवेश सब कुछ ‘अनलॉक’ हो गए हैं। लोग भी कोरोना को भूल त्योहार मना रहे हैं। बाजार और शादी समारोह में भी रौनक दिखने लगी है। इस माहौल के बीच राजधानी जयपुर में वैष्णवों की सबसे बड़ी पीठ कहे जाने वाले गलता में प्रवेश को लेकर कोरोना काल की बंदिश अभी भी बरकरार है। इस बंदिश से गलता में आस्था की डुबकी लगाने व गालव ऋषि के दर्शन करने आने वाले श्रद्धालु खासे परेशान होते हैं।

रहता था मेले का सा माहौल

कोरोना से पहले कार्तिक मास में यहां हजारों श्रद्धालु देव दर्शन व स्नान करने पहुंचते थे। लेकिन स्नान पर पाबंदियों के कारण गलता तीर्थ में पहले जैसी रौनक दिखाई नहीं दे रही है। स्नान पर पाबंदी होने से दूरदराज से इस बार बहुत कम श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। जबकि दिवाली बाद तो यहां सुबह से शाम तक मेले का सा माहौल रहता था। कार्तिक मास में यहां तकरीबन एक लाख से अधिक श्रद्धालु दर्शनों और आस्था की डुबकी लगाने के लिए आते थे। गलता तीर्थ के पीठाधीश्वर अवधेशाचार्य का कहना है कि कोरोना संक्रमण फैलने का डर अभी भी बना हुआ है। इसलिए लोगों की सुरक्षा को दृष्टिगत रखते हुए पाबंदी लगाई गई है।

एक मार्ग से ही प्रवेश
गलता जी में गलता की पहाड़ी वाले मार्ग से प्रवेश एकदम निषेध है। प्रवेश केवल मात्र घाट की गूणी-सिसोदिया गार्डन होते हुए श्रीगलताजी के पूर्वी द्वार से ही दिया जा रहा है। कुंडों पर स्थित मंदिरों, धर्मशालाओं और अन्य भवनों आदि में प्रवेश भी पूर्णतया निषेध है। प्रवेश के दौरान दर्शनार्थियों को कोरोना गाइडलाइन की पालना करना अनिवार्य है।

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