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बीकानेर,हवा में घुलते जहर को लेकर उच्चतम न्यायालय की चिंता कोई नहीं है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर पर पहुंचने पर सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र व राज्यों की सरकारों को राजनीति से ऊपर उठकर उपाय करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद दिल्ली में सात दिन तक स्कूल ऑफिस तक बंद कर दिए गए हैं तथा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अन्य एहतियाती उपायों का भी ऐलान किया है। घर में मास्क लगाकर बैठने की मजबूरी की बात कह कर सुप्रीम कोर्ट ने अकेले दिल्ली ही नहीं, बल्कि जहरीली हवा वाले तमाम शहरों पर मंडरा रहे खतरे की ओर संकेत दिए हैं। ऐसा खतरा जिसका समाधान आशिक या पूर्ण लॉकडाउन में तो कतई नहीं है। जरूरत रोकथाम के लिए दीर्घकालिक उपायों की है।

वायु प्रदूषण का यह खतरा ऐसा है जो दिखता भी है और महसूस भी होता है लेकिन जब कुछ करने की बारी आती है तो सब एक-दूसरे का मुंह ताकते नजर आते हैं। सरकारें भी और समाज के जिम्मेदार नागरिक के रूप में हम सब भी। दरअसल इस भयावह हालात के लिए कोई एक कारण जिम्मेदार नहीं आतिशबाजी और पराली जलाने जैसे कारण तात्कालिक हो सकते हैं। लेकिन प्रदूषण की साल दर साल बढ़ती इस समस्या का बड़ा कारण सड़कों पर धुआं उगलते वाहन भी हैं। रही-सही कसर क्षतिग्रस्त सड़कों पर उड़ती धूल से पूरी हो जाती है। केन्द्रीय प्रदूषण मंडल ने भी राजस्थान समेत चार राज्यों के मुख्य सचिवों को हाल ही पत्र लिखकर कहा है कि वाहनों का इस्तेमाल तीस फीसदी कम किया जाना चाहिए। लॉकडाउन के दौर में देश भर में आबोहवा कितनी बेहतर हुई थी इसे भी सबने देखा है। वाहनों के आवागमन में ठहराव ने जहरीली हवा वातावरण में घुलने से रोक दी थी। अब वाहनों की संख्या में कमी कैसे आएगी, इसके लिए ठोस कार्ययोजना सरकारों के पास है ही नहीं। इसीलिए जब संकट आता है तब जाकर सरकारें हरकत में आती है।

सुप्रीम कोर्ट ने कार्रवाई रिपोर्ट तलब की है तो सरकारें भी अपना काम करेंगी। पर अहम सवाल यही है कि आखिर क्यों कोर्ट की फटकार के बाद ही जिम्मेदारों को अपने दायित्व का अहसास होता है। दरअसल, कानून तो हमारे यहां हर तरह के प्रदूषण को रोकने के लिए बने हुए हैं, पर न तो सरकारों को इनकी पालना कराने की परवाह है और न ही हम जिम्मेदार नागरिक की भूमिका निभाते हैं। चिकित्सक भी कह रहे हैं कि प्रदूषण के कारण बीमारियों का खतरा और बढ़ रहा है। सर्दी बढ़ने के साथ यह खतरा और बढ़ेगा। एक-दूसरे पर दोषारोपण के बजाए प्रदूषण की रोकथाम के लिए जागरूक सबको ही होना होगा।

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