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बीकानेर,संस्कृत भारती संगठन द्वारा आयोजित प्रबोधन वर्ग के अंतर्गत आयोजित बौद्धिक सत्र में अखिल भारतीय सह संगठन मंत्री दत्तात्रेयवज्रळ्ळी का प्रेरक उद्बोधन हुआ। उन्होंने “कार्यकर्ता एवं कार्य-पद्धति” विषय पर विस्तार से विचार रखते हुए संगठन की कार्यशीलता, अनुशासन और उद्देश्यबोध पर प्रकाश डाला।
अपने उद्बोधन में दत्तात्रेयवज्रळ्ळी ने कहा कि किसी भी संगठन की वास्तविक शक्ति उसके कार्यकर्ता होते हैं। कार्यकर्ता केवल दायित्व निभाने वाला व्यक्ति नहीं, बल्कि संगठन की विचारधारा का संवाहक होता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि संस्कृत भारती का कार्य केवल भाषा-शिक्षण तक सीमित नहीं है, बल्कि संस्कृत के माध्यम से भारतीय संस्कृति, मूल्य और जीवन-दृष्टि को समाज में प्रतिष्ठित करना है। इसके लिए कार्यकर्ता का आचरण, भाषा-निष्ठा, सतत अभ्यास और सेवा-भाव अत्यंत आवश्यक है।
प्रबोधन वर्ग में जोधपुर प्रांत के 15 जिलों से आए प्रतिभागी भाग ले रहे हैं, जो निरंतर संस्कृत संभाषण अभ्यास कर रहे हैं। यह वर्ग संभाषण में प्रावीण्य के साथ-साथ कार्यकर्ताओं के वैचारिक एवं संगठनात्मक विकास का सशक्त माध्यम बन रहा है। सत्र के दौरान सहभागियों ने सक्रिय सहभागिता करते हुए संगठनात्मक विषयों पर भी गहन रुचि दिखाई।
इस बौद्धिक सत्र में उत्तर-पश्चिम क्षेत्र के क्षेत्र मंत्री डॉ. तग सिंह राजपुरोहित भी विशेष रूप से उपस्थित रहे। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि संस्कृत भारती का कार्य जनसहभागिता पर आधारित है और निरंतर प्रशिक्षण से ही संगठन की जड़ें और अधिक मजबूत होती हैं। उन्होंने प्रबोधन वर्ग को भावी कार्यकर्ताओं के निर्माण की महत्वपूर्ण कड़ी बताया।
प्रबोधन वर्ग के प्रशिक्षण प्रमुख ताराचंद रेपस्वाल ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि यह वर्ग केवल भाषा-प्रशिक्षण नहीं, बल्कि कार्यकर्ताओं में नेतृत्व, उत्तरदायित्व और संगठन के प्रति समर्पण विकसित करने का प्रयास है। ऐसे बौद्धिक सत्र कार्यकर्ताओं को स्पष्ट दिशा और दीर्घकालीन दृष्टि प्रदान करते हैं।

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