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बीकानेर,अजित फाउण्डेशन की मासिक व्याख्यानमाला के तहत आज ‘‘मानसिक स्वास्थ्य और तनाव प्रबंधन’’ विषय पर मुख्यवक्ता के रूप में बोलते हुए सहायक आचार्य, स्वामी केश्वानन्द राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय डॉ. सीमा त्यागी ने कहा कि वर्तमान में हम सभी के जीवन में तनाव का दायरा बढ रहा है। जब तक परिस्थितियां हमारे अनुकुल होती है तब तक जीवन सरलता चल जाता है जैसे ही विपरित परिस्थितियां उभर कर आती है हम तनावग्रसित हो जाते है। इस तनावग्रसित परिस्थिति में हमें अपनों से तथा अपने आप से संवाद करना चाहिए, जिससे हमें नई दिषा मिलती है तथा नए विचार मिलते है। जब हमारा जीवन धारा के विपरित प्रवाह की ओर जाने लगता है तो हम तनाव में जाने लगते है। हमें अपने जीवन को प्रत्येक स्थिति में अनुकुल रहने हेतु ढालना चाहिए। हमारे जीवन में कई बार ऐसे अवसर आते है जब हम परिस्थितियों को समझ नहीं पाते और हमारे सामने एक प्रष्नचिन्ह लग जाता है कि ‘‘अब आगे क्या करें ?’’ उस समय हमें अपनी अन्तरात्मा को टटोलना चाहिए तथा सकारात्मक रहकर जीवन के फैसले लेने चाहिए।
डॉ. त्यागी ने युवाओं के साथ प्रायोगिक सत्र के दौरान उनको कागज पर अपनी ताकत एवं कमजोरियों के बारे में लिखने को कहा तथा बताया कि हमें अपनी ताकत को पहचान कर उसका सही दिषा में उपयोग करना चाहिए तथा कमजोरियों को कम करने हेतु उचित उपाय करने चाहिए।
संस्था समन्वयक संजय श्रीमाली ने कार्यक्रम के आरम्भ में बताया कि वर्तमान में युवाओं में मानसिक स्वास्थ्य एवं तनाव प्रबन्धन पर बात होनी बहुत आवश्यक है। क्योंकि युवावर्ग तनाव से ग्रसित होकर अपने जीवन में कई नकारात्मक कदम उठाते है जोकि उनका जीवन बर्बाद कर देते हैं। उन्होंने संस्था की गतिविधियों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि संवाद ही ऐसा जरिया है जिससे हम एक स्वस्थ सोच को विकसित कर सकते है।
कार्यक्रम के अंत में सेठ बीजेएस रामपुरिया जैन महाविद्याय की व्याख्याता भारती ने संस्था की तरफ से आभार ज्ञापित करते हुए कहा कि ऐसे आयोजनों से युवा वर्ग को नई सोच एवं दिशा मिलती है जिससे वह अपना सर्वांगीण विकास कर सकते है।
इस अवसर पर रामपुरिया जैन महाविद्यालय के प्रो. शंकर रॉय, प्रो. शशिकला रंगा, डॉ. महेन्द्र पंचारिया ने अपने विचार प्रस्तुत किए। साथ कार्यक्रम में मो. फारूक सहित कई प्रोफेसर एवं विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया।

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