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बीकानेर,मारवाड़ इंटरनेशनल सेंटर, जोधपुर (राज.) में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सारस्वत ब्राह्मण सम्मेलन के अंतर्गत सारस्वत ग्लोबल एक्सपो का भव्य उद्घाटन श्रीडूंगरगढ़ विधायक श्री ताराचंद सारस्वत,काशी पीठ के पीठाधीश्वर परम पूज्य सम्यमिन्द्र तीर्थ स्वामी जी, राजस्थान सरकार के कानून मंत्री श्री जोगाराम पटेल जी, माननीय सांसद चित्तौड़गढ़ श्री सी.पी. जोशी जी ,जनरल जी डी बक्शी घनश्याम जी ओझा हस्तीमल जी सारस्वत सहित देश–विदेश से पधारे सारस्वत समाज के प्रबुद्धजनो की उपस्थिति में हुआ। तोलाराम मारू

उद्घाटन अवसर पर विधायक श्री ताराचंद सारस्वत ने कहा कि सारस्वत ग्लोबल एक्सपो समाज के उदीयमान, प्रतिभावान एवं कर्मठ व्यक्तियों को उनके व्यवसाय, नवाचार और उद्यमिता को वैश्विक मंच प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि संस्कृति, संस्कार, शिक्षा, सेवा, संगठन और सनातन मूल्यों को सशक्त करने की एक ऐतिहासिक पहल है। यह वह मंच है जहाँ विश्वभर में फैला सारस्वत ब्राह्मण समाज एकत्र होकर अपने गौरवशाली अतीत, सशक्त वर्तमान और उज्ज्वल भविष्य पर मंथन कर रहा है।
विधायक सारस्वत ने कहा कि इस सम्मेलन का उद्देश्य विश्वभर में फैले सारस्वत ब्राह्मण समाज को एक साझा मंच पर लाकर सनातन संस्कृति एवं शाश्वत मूल्यों के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु सार्थक संवाद स्थापित करना है। यह सम्मेलन संस्कार, संस्कृति, सेवा और संगठन की शक्ति के माध्यम से समाज को जोड़ने का कार्य कर रहा है।
सम्मेलन के अंतर्गत सनातन संस्कृति एवं वैदिक परंपराओं पर विचार गोष्ठियाँ, शिक्षा, शोध एवं युवा सशक्तिकरण पर विशेष सत्र, योग, आयुर्वेद एवं प्राकृतिक जीवनशैली पर आधारित प्रदर्शनी तथा समाज में एकता, संगठन और सेवा भावना को सुदृढ़ करने पर व्यापक मंथन किया गया। देश-विदेश से आए विद्वानों, संत-महात्माओं, समाजसेवियों एवं प्रबुद्धजनों की गरिमामयी सहभागिता इस आयोजन की विशेष पहचान रही।
एक्सपो में धार्मिक, सांस्कृतिक एवं शैक्षणिक संस्थानों के स्टॉल, पारंपरिक कला, साहित्य एवं वैदिक ग्रंथों की प्रदर्शनी, समाजोत्थान से जुड़े नवाचारों एवं योजनाओं का प्रदर्शन तथा युवा प्रतिभाओं को मंच प्रदान करने के विशेष कार्यक्रम आयोजित किए गए। ये सभी प्रयास आने वाली पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ने का सशक्त माध्यम बने।
वक्ताओं ने सारस्वत समाज की गौरवशाली परंपरा पर प्रकाश डालते हुए बताया कि यह समाज पवित्र सरस्वती नदी से जुड़ा हुआ है। वैदिक काल में सरस्वती नदी के तट पर निवास करने वाले ब्राह्मण सारस्वत कहलाए और नदी के लुप्त होने के पश्चात यह समाज राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, कश्मीर, हिमाचल, उत्तर भारत एवं तटीय क्षेत्रों में फैल गया, जहाँ-जहाँ गया वहाँ ज्ञान, संस्कार और संस्कृति का प्रकाश फैलाया।
सम्मेलन में यह भी उल्लेख किया गया कि सारस्वत समाज ने वेद, उपनिषद, दर्शन, गणित, ज्योतिष और आयुर्वेद में गहरी विद्वता के साथ शिक्षा को समाजोत्थान का सशक्त माध्यम माना है। सनातन मूल्यों, सामाजिक एकता, अनुशासन, सरल जीवन और उच्च विचार इसकी पहचान रहे हैं। प्रशासन, न्यायपालिका, राजनीति, स्वतंत्रता आंदोलन, साहित्य, भाषा, संस्कृति, योग और आयुर्वेद के क्षेत्र में समाज का योगदान अतुलनीय रहा है।
अंत में विधायक श्री ताराचंद सारस्वत ने कहा कि सारस्वत समाज केवल एक जातीय पहचान नहीं, बल्कि ज्ञान, संस्कार, सेवा और राष्ट्रसमर्पण की एक जीवंत परंपरा है। हम सब मिलकर इस परंपरा को और सशक्त करें, युवाओं को दिशा दें और भारत को पुनः विश्वगुरु बनाने की यात्रा में सहभागी बनें।
इस सफल एवं प्रेरणादायी आयोजन हेतु सभी आयोजकों को हार्दिक बधाई एवं साधुवाद प्रेषित किए गए।

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