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मणिपुर में उग्रवादियों ने सेना के काफिले पर घात लगाकर हमला किया। इसमें 46 असम राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल विपल्व त्रिपाठी (40) समेत 5 सैनिक शहीद हो गए। हमले में विपल्य की पत्नी अनुजा (38) और 8 साल के घंटे अबीर की भी जान चली गई। सेना के अनुसार, कर्नल त्रिपाठी म्यांमार बॉर्डर पर फॉरवर्ड पोस्ट से लौट रहे थे। उनके साथ गाड़ियों का काफिला था। सुबह 10 बजे देहेंग के पास उग्रवादियों ने काफिले को निशाना बनाकर पहले रिमोर्ट कंट्रोल से विस्फोट किया। उसके बाद कुछ मिनट तक ताबड़तोड़ फायरिंग की इससे कर्नल त्रिपाठी समेत 5 सैनिक शहीद हो गए, जबकि 5 जवान

घायल है। मणिपुर के उग्रवादी संगठन पीएलए और मणिपुर नगा पीपल्स फ्रंट ने हमले की जिम्मेदारी ली है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, ‘हमले के दोषियों को उनके अंजाम तक पहुंचाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा- ‘खीर जवानों को शादत को देश कभी नहीं भूलेगा।’

40 साल के कर्नल त्रिपाठी छत्तीसगढ़ के रायगढ़ के थे। उनके पिता सुभाष त्रिपाठी पत्रकार हैं। कर्नल त्रिपाठी मणिपुर के कूगा में पोस्टेड थे। उनका परिवार भी साथ रह रहा था। शनिवार को वे म्यांमार बॉर्डर पर फॉरवर्ड पोस्ट का निरीक्षण कर लौट रहे थे। गाड़ी में उनका परिवार भी था। तभी हमला हो गया। हमले के बाद भी कर्नल त्रिपाठी के बेटे अबीर की सांस चल रही थी। अवीर ने अस्पताल में दम तोड़ा।

मणिपुर में सेना पर 6 साल का सबसे बड़ा हमला, ये हमला न होता तो 2021 ऐसा दूसरा साल होता, जब मणिपुर में किसी जवान की शहादत

मणिपुर में 2007 में सबसे ज्यादा 257 आयादों हमलों में 58 जवान शहीद हुए थे। यह मणिपुर के इतिहास में किसी एक माल में शहीद होने वाले भारतीय जवानों की सबसे बड़ी संख्या थी। उसके बाद अलग-अलग आबादी संगठनों के साथ सुरक्षा एजेंसियों और सरकार के समझौते हुए और आवादी गतिविधियां कई गुना घट गई। लेकिन, जून 2015 में एक हमले में 20 जवान शहीद हो गए। यह मणिपुर में किसी एक हमले में शहीद होने वाले भारतीय जवानों की सबसे बड़ी संख्या थी। उसके बाद उग्रवादी गतिविधियां कमजोर पड़ती गई। 2019 में मणिपुर में एक भी जवान शहीद नहीं हुआ। में हालांकि, 2020 में कुल 4 उग्रवादी हमले में सुरक्षा बलों के 3 जवान शहीद हुए 2021 में अब तक कुल 10 उग्रवादी हमले हो चुके हैं, लेकिन इनमें एक भी जवान शहीद नहीं हुआ था, बल्कि 12 आबादी मारे गए। अब शनिवार सुबह वादियों ने सेना पर बड़ा हमला किया, जिसमें 5 जवान शहीद हो गए। मणिपुर के वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप फोजोबाम बताते हैं कि राज्य के आवादी संगठन ताकत खो चुके हैं। उनके काडर में मतभेद खड़े हो गए हैं। इस हमले के पीछे उग्रवादियों को मशा साफ दिख रही है कि वे अपनी उपस्थिति दर्ज कराना चाहते हैं, ताकि लोग इस बात पर यकीन न कर सकें कि पीएलए जैसे संगठन अब जमीनी स्तर पर ताकतवर नहीं हैं।

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