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बीकानेर,आमतौर पर नया पाठ्यक्रम और सेमेस्टर सिस्टम को लागू करने के लिए विश्वविद्यालय के एकेडमिक कौंसिल की बैठक में प्रस्ताव पास किया जाता है।

परन्तु कौंसिल की बैठक बार- बार स्थगित होने का खमियाजा विद्यार्थियों को भुगतना पड़ रहा है। विषय विशेषज्ञों की आपसी सहमति भी नहीं बनने से नई शिक्षा नीति के तहत पाठ्यक्रम तैयार नहीं हो पा रहा है।

जून-जुलाई में होती है बैठक

विश्वविद्यालय की एकेडमिक कौंसिल की बैठक जून-जुलाई में होती हैं। ताकि अगस्त में कॉलेजों में नया शिक्षा

सत्र शुरू होने के साथ ही विद्यार्थी नया पाठ्यक्रम के अनुसार पढ़ाई करा सकें। परन्तु इस बार यह बैठक तय समय पर नहीं कराई गई। ऐसे में विद्यार्थियों को अभी पुराने पाठ्यक्रम के अनुसार ही पढ़ाई करनी पड़ रही है।

दो बार से स्थगित हो चुकी है

विवि की एकेडमिक कौंसिल की बैठक दो बार तिथि घोषित करने के बाद स्थगित की जा चुकी है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने पहले 26 अक्टूबर और फिर 10 नवंबर को बैठक रखी। लेकिन दोनों बार बैठक नहीं की गई है।

सेमेस्टर सिस्टम भी लागू नहीं

विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसी शिक्षा सत्र से विश्वविद्यालय परिसर और सम्बद्ध कॉलेजों में सेमेस्टर सिस्टम लागू करने की तैयारी में था परन्तु कॉसिल की बैठक नहीं होने से इसका प्रस्ताव पास नहीं हो पाया। इस वजह से केवल विश्वविद्यालय के विभागों में ही इसे लागू किया गया है। जबकि संभाग के अन्य कॉलेजों में अभी सिस्टम को लागू करने के लिए इंतजार करना पड़ेगा।

अपरिहार्य कारणों से स्थगित

एकेडमिक कौंसिल की बैठक दो बार अपरिहार्यकारणों से स्थगित की गई है। सेमेस्टर सिस्टम विवि के विभागों में तो लागू हो जाएगा लेकिन, कॉलेजों में सरकार के आदेश के बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा। साथ ही संभवतः बीस नवंबर को बैठक बुलाने की योजना है।

प्रो. विनोदकुमार सिंह, कुलपति एमजीएसयू

आपसी सहमति का अभाव

आपसी सहमति नहीं बन पाने के कारण नया पाठ्यक्रम और सेमेस्टर सिस्टम लागू होने में देरी हो रही है। फिलहाल विवि के विभागों में सेमेस्टर सिस्टम लागू किया जाएगा।

– डॉ. बिट्ठल बिस्सा, उप कुलसचिव एमजीएसयू

आपसी सहमति नहीं बन पा रही

नई शिक्षा नीति के तहत पाठ्यक्रम लागू करने के लिए विषय विशेषज्ञों की बैठक कर राय ली जाती है। स्थिति यह है कि इन विशेषज्ञों में पाठ्यक्रम को लेकर सहमति नहीं बन पा रही है। ऐसे में विश्वविद्यालय सन कुछ भी नहीं कर पा रहा है। विद्यार्थियों को इसका खमियाजा भुगतना पड़ रहा है।

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