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बीकानेर,रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 23वें भारत–रूस शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए पिछले सप्ताह 4 दिसंबर 2025 को भारत यात्रा पर आए थे । पुतिन अब तक 10 बार भारत का दौरा कर चुके हैं, लेकिन उनकी इस बार की यात्रा को दुनिया भर में विशेष दृष्टि से देखा जा रहा है, क्योंकि यह यात्रा अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत के प्रति रुख के संदर्भ में भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

भारत और रूस के संबंध बहुत पुराने हैं, लेकिन 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद दोनों देशों के बीच घनिष्ठता और अधिक बढ़ी। सैन्य, आर्थिक और राजनीतिक सहयोग के आधार पर दोनों देशों के बीच एक विशेष सामरिक साझेदारी विकसित हुई।

देश में बहुत कम लोगों को यह जानकारी होगी कि एक समय रूस ने भारत में प्रचलन के लिए भारतीय सिक्के भी ढाले थे। प्रसिद्ध मुद्राशास्त्री बीकानेर के सुधीर लुणावत के अनुसार रूस की मॉस्को टकसाल (Moscow Mint) ने भारत के लिए ने वर्ष 2000 में दो-रुपये के सिक्के और 1999 व 2000 में पाँच-रुपये के सिक्के जारी किए थे। इन सिक्को पर वर्ष के नीचे मिंट मार्क MMD अंकित किया जाता था जिसमें एक “हाथी” जैसी दिखाई देने वाली डिजाइन में MM को एक बड़े D के अंदर दिखाया गया है ।
उस दौर में भारत संसाधनों की कमी के कारण अपनी घरेलू मांग को पूरा नहीं कर पा रहा था, इसलिए भारत सरकार ने रूस से सिक्के ढलवाने का निर्णय लिया। 1980 से वर्ष 2000 तक कई बार भारत के सिक्के विदेशी में बनाए गए थे
रूस के अलावा दक्षिण कोरिया, इंग्लैंड, कनाडा, दक्षिण अफ्रीका, स्लोवाकिया और मेक्सिको में भी भारत के लिए सिक्के ढाले जा चुके हैं।

आज स्थिति पूरी तरह बदल चुकी है। भारत के पास सिक्को की इतनी उत्पादन क्षमता है कि घरेलू मांग पूरी करने के साथ–साथ भारत अब कई अन्य देशों के लिए भी सिक्के और करेंसी नोट तैयार करता है।

सुधीर लुणावत बताते हैं कि भारत में सिक्कों का निर्माण करने के लिए कुल चार सरकारी टकसालें हैं—मुंबई, नोएडा, कोलकाता और हैदराबाद। ये सभी टकसालें वित्त मंत्रालय के निर्देशन में भारत प्रतिभूति मुद्रण तथा मुद्रा निर्माण निगम लिमिटेड (SPMCIL) के अधीन कार्य करती हैं।

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