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बीकानेर,श्रीगंगानगर,केन्द्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि मैंने कई देशों में जाकर भारत की संस्कृति के बारे में बताया है, मैंने उनको बताया कि भारत की आत्मा गांवों में बसती है। यर्थात को समझने के लिये गांव ही सही आईना है। श्री शेखावत गुरूवार को गांव श्री डूंगरसिंहपुरा में गांव के 152 वर्ष पूर्ण होने पर श्री डूंगरसिंहपुरा ग्राम स्थापना महोत्सव के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे।

उन्होंने कहा कि भारत में आक्रांताओं ने निरन्तर दो हजार वर्ष तक संघर्ष किया एवं सनातन संस्कृति को मिटाने का प्रयास किया। भारत मॉं के सपूतों एवं रणबांकुरों ने संघर्ष व बलिदान देकर इसे बचाये रखा। हमारे इतिहास को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत किया गया। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में संस्कृति का पुर्नजागरण हुआ है। गांवों का इतिहास एक जरिया है। धर्म ध्वजा की रक्षा के लिये जो बलिदान दिये गये, कालांतर में उनकी जानकारी पीढ़ियों को होनी चाहिए। हमारा इतिहास बिखरा हुआ है, उसका संकलन होना चाहिए। गांवों में बनी छत्रियों का इतिहास विलुप्त न हो, इसके लिये झरोखा जैसी पुस्तकों की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने नई शिक्षा नीति लागू की है, जिसके आने वाले वर्षों में अच्छे परिणाम देखने को मिलेंगे। उन्होंने कहा कि जो समाज या परिवार इतिहास से कट जाता है, उस परिवार व समाज की हालत कटे पेड़ जैसी हो जाती है।

उन्होंने कहा कि अंग्रेजों का उत्पीड़न, चुनौतियां, संघर्ष, अत्याचार व अनाचार के दौरान जिन नागरिकों ने संघर्ष किया, उन्हें याद किया जाना चाहिए। उन्होंने श्री मोटाराम एवं उनके परिवार का जिक्र करते हुए बताया कि महाराजा डूंगरसिंह ने इन परिवारों को पलायन करने से रोका तथा इनके साथ न्याय कर इन्हें 35 हजार बीघा जमीन कृषि के लिये दी गई। इसी जमीन पर 5 गांव बसाए गये।

शेखावत ने सिंधु नदी जल समझौते का जिक्र करते हुए बताया कि यह समझौता न्याय संगत नहीं है। देश के प्रधानमंत्री जी ने कहा है कि खून व पानी एक साथ नहीं बह सकते। जिस समय यह समझौता किया गया, उस समय आगे चलकर पानी की कीमत क्या होगी, पर ध्यान नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि चिनाब नदी के पानी का लाभ पंजाब, राजस्थान व गुजरात के नागरिकों को मिलेगा।

उन्होंने कहा कि एक समय था, जब देश में दो वक्त की रोटी भी मुश्किल थी। लाल बहादुर शास्त्री जी ने देश के नागरिकों से अनुरोध किया था कि सात दिन में एक दिन उपवास रखे लेकिन आज भारत अन्न उत्पादन, तिलहन, दलहन, कपास, दूध में अग्रणी देश बन गया है। उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृति विश्व को एक परिवार के रूप में मानती है। कोविड-19 के दौरान देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने देश के नागरिकों को कोविड से बचाने के लिये दवा तैयार करवाई एवं नागरिकों को निःशुल्क दवा दी गई। इसके अलावा 90 देशों को कोविड-19 की दवा भेजकर उन देशों के नागरिकों की जान बचाई गई।

उन्होंने कहा कि भारत में विकास की संकल्पना को लेकर कार्य किये जा रहे हैं। राज्यों को 42 प्रतिशत राशि देने के अलावा 5 प्रतिशत अतिरिक्त विकास राशि गांवों के लिये दी जाती है। इसी कारण आज गांव-गांव में प्रतिवर्ष करोड़ों रूपये के विकास कार्य करवाये जा रहे हैं। प्रधानमंत्री जी की इच्छा के अनुरूप प्रत्येक गरीब का घर पक्का हो, उसमें बिजली, पेयजल, एलपीजी, शौचालय की व्यवस्था हो, देश में ऐसे करोड़ों परिवार है, जिन्हें ये सुविधाएं मिल चुकी है तथा 25 करोड़ से अधिक परिवार गरीबी की रेखा से बाहर आ चुके हैं। उन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था का जिक्र करते हुए कहा कि दुनिया की सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था भारत की है।

खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग एंव उपभोक्ता मामले विभाग के मंत्री एवं जिला प्रभारी मंत्री श्री सुमित गोदारा ने श्री डूंगरसिंहपुरा गांव की स्थापना के 152 वर्ष पूर्ण करने पर आयोजन समिति का आभार व्यक्त करते हुए सभी को शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि बीकानेर के राज परिवार ने सदैव आमजन के हित के कार्य किये हैं। उन्होंने महाराजा गंगासिंह का जिक्र करते हुए कहा कि सौ वर्ष पूर्व नहर को लाना बहुत कठिन कार्य था, लेकिन 1925 में नहर का कार्य प्रारम्भ कर 1927 में नहर निर्माण का कार्य पूर्ण कर दिया गया। इस क्षेत्र में आज जो खुशहाली व हरियाली दिखाई दे रही है, वह पूर्वजों की मेहनत है।

गंगानगर विधायक जयदीप बिहाणी ने कहा कि यह क्षेत्र पूरा रेगिस्तान था। दूर-दूर तक पीने लायक पानी मिलना भी कठिन था। उन्होंने महाराजा गंगासिंह को नमन करते हुए बताया कि गंगनहर आने के बाद यह क्षेत्र हरित क्षेत्र बना है। उन्होंने गांव डूंगरसिंहपुरा को बसाने सहित इतिहास पर प्रकाश डाला।

बीकानेर विधायक सुश्री सिद्धी कुमारी ने कहा कि हमने हमारे पूर्वजों के बारे में लिखा हुआ पढ़ा था, लेकिन आज डूंगरसिंहपुरा गांव में आकर आम नागरिकों से जो बातें सुनने को मिली है, ये सब सुनकर अच्छा लगा। उन्होंने कहा कि हमारे वंशज डूंगरसिंह जी एक दूरदर्शी और न्याय प्रिय इंसान थे। उनकी दूरदर्शिता को मैं दाद देती हूॅ।

डॉ. बृजमोहन सहारन ने बताया कि 152 वर्ष के बाद यह आयोजन करने का अवसर मिला है। किसी ग्राम का स्थापना दिवस मनाना यह पहला अवसर है। उन्होंने बताया कि गांव का नाम श्री डूंगरसिंह जी के नाम पर डूंगरसिंहपुरा रखा गया था। श्री डूंगरसिंह एक न्यायप्रिय व्यक्ति थे। इस अवसर पर रायसिंहनगर विधायक श्री बलवीर सिंह लूथरा, श्री बिजेन्द्र सिंह पूनिया, श्री रतन लाल गणेशगढ़िया ने अपने विचार व्यक्त किये।

कार्यक्रम की शुरूआत दीप प्रज्जवलन के साथ हुई। अतिथियों द्वारा गांव डूंगरसिंहपुरा में पौधारोपण किया गया, वहीं पर रक्तदान शिविर भी आयोजित किया गया। अतिथियों द्वारा डॉ. बृजमोहन सहारण द्वारा लिखित पुस्तक झरोखा का विमोचन किया तथा भारत सरकार द्वारा जारी डाक टिकट का भी लोकार्पण किया गया।

इस अवसर पर पूर्व केन्द्रीय मंत्री निहालचंद, पूर्व राज्यमंत्री सुरेन्द्र पाल सिंह टीटी, पूर्व प्रधान सरला देवी, सरपंच कालूराम,  प्रियंका बैलान, महेन्द्र सोढ़ी, श्याम धारीवाल, नत्थूराम, कुलदीप सहारण,  प्रदीप खीचड़, जोधपुर से अनुश्री पूनिया, साहबराम, अर्जुन सिहाग, मुकेश गोदारा सहित अन्य उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन शिक्षाविद् डॉ. पीसी आचार्य ने किया।

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