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बीकानेर,प्रज्ञालय संस्थान एवं राजस्थानी युवा लेखक संघ द्वारा डॉ. टैस्सीटोरी को समर्पित दो दिवसीय ओळू समारोह के तहत ‘काव्य रंगत-शब्द संगत’ का आयोजन स्थानीय लक्ष्मीनारायण रंगा सृजन सदन में किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कवि-कथाकार कमल रंगा ने अपनी नव राजस्थानी कविताओं कोराजस्थानी की मठोठ के साथ अक्षर की सत्ता को रेखांकित करते हुए – आखर दीठ सूं सावळ समझ/फेर कर दीठ सवाई… और प्रेम-प्रीत पर केन्द्रित कवितावां- नीं ठा नी याद थनैं/बरसा पैली… प्रस्तुत की। इसी क्रम में उर्दू के शायर ज़ाकिर अदीब ने अपनी ताजा गज़़ल के शेर – दिल दे पर सादा दे/नींद उड़ जाए आंखों की/मुझको ऐसा सपना दे…के माध्यम से उर्दू के मिठास को घोला।
कवि प्रमोद शर्मा ने अपने हिन्दी नव गीतों के माध्यम से हिन्दी के सौन्दर्य को बिखेरते हुए – अब खड़ा ही क्यूं रहूं/जब सत्य नहीं बाजार में… के माध्यम से वर्तमान हालातों पर व्यंग्य कसा। कवि जुगल किशोर पुरोहित ने प्रेम पर केन्द्रित राजस्थानी गीत-कठैई परेम सूं भासा है/कठैई परेम सूं गीत है…. एवं कलयुग पर केन्द्रित कविता प्रस्तुत की।
कवि डॉ. नृसिंह बिन्नाणी ने टैस्सीटोरी के व्यक्तित्व एवं कृत्तित्व पर केन्द्रित कविता- मायड़ भासा रौ घणौ मान दिरायौ… पेश की। इसी क्रम में कवि गिरिराज पारीक ने पानी पर केन्द्रित अपनी कविताओं के माध्यम से पानी की रंगत को रंग दिया। कवि शकूर बीकाणवी ने टैस्सीटोरी को समर्पित राजस्थानी गीत प्रस्तुत किया। तो कवि शिवशंकर शर्मा ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी ताजा रचना के माध्यम से वर्तमान हालातों को पेश किया। काव्य रंगत में लोक गायक मदन गोपाल व्यास ‘जैरी’ ने राजस्थानी के प्रसिद्ध लोक गीतों को प्रस्तुत कर राजस्थानी संस्कृति का वैभव सामने रखा।
कार्यक्रम में अध्यक्ष कमल रंगा ने कविता के विभिन्न पक्षों पर अपनी बात रखते हुए टैस्सीटोरी के कार्यों को प्रस्तुत कर दो दिवसयी ओळू समारोह का समापन किया। कार्यक्रम में काव्य-रसिक भवानी सिंह राठौड़, पुनीत कुमार रंगा, हरिनारायण आचार्य, कार्तिक मोदी, तोलाराम सहारण, कन्हैयालाल, भैरूरतन रंगा, लालजी व्यास, शिव पंवार, अशोक शर्मा, नवनीत व्यास आदि की गरिमामय साक्षी रही।
कार्यक्रम का संचालन कवि गिरिराज पारीक ने किया एवं सभी का आभार आशीष रंगा ने ज्ञापित किया।

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