
बीकानेर, राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान, बीकानेर एवं अणुव्रत समिति, गंगाशहर के संयुक्त तत्वावधान में शुक्रवार को ‘ *जैन प्राच्य साहित्य जागरूकता* संगोष्ठी’ का आयोजन प्रतिष्ठान परिसर में उग्र विहारी तपोमूर्ति मुनिश्री कमलकुमार जी के सानिध्य में हुआ|
अणुव्रत समिति अध्यक्ष करणीदान रांका ने बताया की मुनिश्री कमलकुमार जी ने अपने मंगल पाथेय में कहा की” भारतीय संस्कृति और संस्कार साहित्य के माध्यम से सुरक्षित रह सकते हैं| प्रतिष्ठान ने इन अनमोल साहित्य सम्पदा क़ो सुरक्षित किया है| उन्होंने आह्वाहन किया की लोग प्रतिष्ठान से जुड़े, और इस उपलब्ध साहित्य के माध्यम से विभिन्न विषयों के विशेषज्ञ बनें| इन पाण्डुलिपियों के माध्यम से कई कई अविष्कार हुवे है|”
मंत्री कन्हैयालाल बोथरा ने बताया की प्रतिष्ठान के वरिष्ठ अनुष्ठान अधिकारी डॉ नितिन गोयल ने कहा की शताब्दीयों पुरानी पांडुलिपियों को ढूँढना और पढ़ना कठिन है, इसलिए उन्हें संरक्षित करने और पढ़ने वाली नई पीढ़ी तैयार करने की जरूरत है। इस हेतु सामाजिक सस्थाएं, सामाजिक लोग, युवा पीढ़ी इससे जुड़े, तो विरासत क़ो अनुवादित किया जा सकता है जिससे वह वर्तमान और भावी पीढ़ी के लिए उपयोगी हो सकती है | उन्होंने निरंतर संगोष्ठी के द्वारा जुड़ाव और प्रबंधन पर बल दिया | शोध करने वालों के लिए यहाँ काफ़ी सामग्री उपलब्ध है|”
समिति के उपाध्यक्ष मनीष बाफना ने बताया की कार्यक्रम मेंभाजपा अध्यक्ष सुमन छाजेड़, पूर्व महापौर नारायण चोपड़ा, आचार्य तुलसी प्रतिष्ठान के पूर्व अध्यक्ष हंसराज डागा,साधुमार्गी ज्ञान गच्छ के अध्यक्ष डॉ नरेश गोयल, बसंत जी नवलखा, पूनम चंद जी बोथरा, अणुव्रत समिति, बीकानेर, तेयुप गंगाशहर के पदाधिकारीगण आदि उपस्थित रहे|
सभी ने प्राच्य विद्या के संरक्षण हेतु चल रहे प्रयासों की और प्रतिष्ठान एवं समिति के साथ संयुक्त पहल की सराहना की|
कार्यक्रम का कुशल संचालन मनीष बाफना ने किया| कार्यक्रम क़ो सफल बनाने में प्रतिष्ठान में वंशावली वेता सुनील जी जाग और टीम,समिति के ताराचंद जी गुलगुलिया, मनोज छाजेड, डाल चंद बुच्चा, अनिल बैद,कुशल बाफना, सुधीर लुणावत आदि का योगदान रहा |











