










बीकानेर,केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल की पहल पर बीकानेर में 23 नवंबर को होने वाली ‘वेदांता–टूर डी थार’ अंतरराष्ट्रीय साइक्लिंग रैली से एक दिन पहले 22 नवंबर को जिला परिषद सभागार में ‘थार सस्टेनेबिलिटी समिट’ का आयोजन किया जाएगा। समिट का की-नोट संबोधन केंद्रीय कानून मंत्री मेघवाल ही देंगे।
ग्लोबल हैप्पीनेस फाउंडेशन द्वारा आयोजित इस अंतरराष्ट्रीय समिट में फ्रांस, सिंगापुर, स्विट्ज़रलैंड और जर्मनी सहित कई देशों के विशेषज्ञ भाग लेंगे। समिट की शुरुआत फ्रांस के पियर गर्बॉड के कीनोट से होगी। पियर गर्बॉड जलवायु परिवर्तन मामलों के अंतर्राष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञ हैं। जो पर्यावरण अनुकूलन से जुड़े अपने शोध के लिए विशेष पहचान रखते हैं। इसके बाद वैश्विक स्तर पर सस्टेनेबिलिटी स्टोरीटेलर के रूप में पहचान रखने वाली एलिना मर्लिन का व्याख्यान होगा।
पहले सत्र में ‘हेरिटेज एंड आइडेंटिटी: बीकानेर थ्रू द एजेस” विषय पर चर्चा होगी। इसमें स्वामी समानंद गिरि और डॉ. विमल कुमार गहलोत बीकानेर की ऐतिहासिक पहचान, सांस्कृतिक धरोहर और मरुस्थलीय समाज के विकास पर विचार प्रस्तुत करेंगे।
इसके बाद ‘क्लाइमेट चेंज एंड बायोडायवर्सिटी ऑफ द थार’ पर केंद्रित पैनल की चर्चा होगी। इस सत्र में मौसम वैज्ञानिक लक्ष्मण सिंह राठौड़, शोधकर्ता कुणाल पटावरी और विशेषज्ञ सौरभ सर्राफ थार के संवेदनशील पारिस्थितिक तंत्र और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों पर चर्चा करेंगे।
दोपहर बाद ‘कल्चर, आर्ट एंड टूरिज्म–ए सोशियो-इकॉनॉमिक विज़न फ़ॉर बीकानेर’ विषय पर अंतरराष्ट्रीय पैनल चर्चा होगी। इसमें स्विट्ज़रलैंड में कार्यरत समाज वैज्ञानिक डॉ. रश्मि राय रावत और संस्कृति पर्यटन विशेषज्ञ श्री गोपाल सिंह चौहान बीकानेर की कला, परंपरा, हेरिटेज और क्रिएटिव अर्थव्यवस्था की संभावनाओं पर अपने विचार साझा करेंगे।
समिट में हेरिटेज संरक्षण, मरुस्थलीय जीवन, कला–संस्कृति और पर्यटन को विशेष महत्व दिया जाएगा। प्रत्येक सत्र 40–45 मिनट का होगा। इनके बीच अंतरराष्ट्रीय की-नोट प्रस्तुतियाँ होंगी।
समिट की मुख्य योजना और आयोजन श्री गणेश गुड़ी द्वारा किया गया है। वहीं सामाजिक वैज्ञानिक रश्मि राय रावत ने सलाहकार के रूप में योगदान दिया है।
यह समिट तथा अगले दिन होने वाली अंतरराष्ट्रीय साइक्लिंग प्रतियोगिता का उद्देश्य थार क्षेत्र में लो-कार्बन ट्रांसपोर्ट, पर्यावरण संरक्षण और स्वस्थ जीवनशैली को प्रोत्साहित करना है। साइकिल चलाने से प्रति किलोमीटर 100–150 ग्राम कार्बन डाई ऑक्साइड उत्सर्जन की बचत होती है, जो जलवायु जागरूकता की दिशा में इसे एक महत्वपूर्ण कदम बनाता है।
