










बीकानेर,वैज्ञानिक तरीकों से भेड़ एवं बकरी पालन के माध्यम से उद्यमिता विकास के गुर सिखाने के लिए 41 किसानों तथा पशुपालकों को स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय में प्रशिक्षण दिया गया। कृषि विज्ञान केंद्र बीकानेर तथा कृषि महाविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस सात दिवसीय प्रशिक्षण के दौरान किसानों और पशुपालकों को भेड़ एवं बकरी पालन के वैज्ञानिक तरीके, पोषण, प्रबंधन , नियमित टीकाकरण के बारे में विस्तार से बताया गया। वहीं उद्यमिता व स्वरोजगार की दिशा में प्रेरित करने हेतु विभिन्न फर्मों का भ्रमण, हैण्डस आन ट्रेनिंग, विभिन्न सरकारी योजनाओं, बैंक ऋण प्रकिया की विस्तार से जानकारी दी गई। प्रशिक्षण का समापन गुरुवार को विश्वविद्यालय के एचआरडी सभागार में हुआ। समारोह में कुलगुरु डॉ अखिल रंजन गर्ग ने कहा कि किसानों और पशुपालकों को आय बढ़ाने के लिए समन्वित कृषि की तरफ जाना होगा। खेती के साथ वैज्ञानिक तरीकों से पशुपालन अपना कर किसान न केवल अपना जीवन स्तर सुधार सकता है बल्कि उद्यमिता विकास के माध्यम से वह अन्य लोगों को रोजगार के अवसर भी उपलब्ध करवा सकता है। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक प्रबंधन करते हुए भेड़ एवं बकरी पालन की देश-भर में असीमित संभावनाएं हैं। इन संभावनाओं को साकार रूप देने के लिए पशुपालक प्रशिक्षण लें तथा यहां प्राप्त जानकारी को अपने जीवन में अपनाते हुए उद्यमी बनें । उन्होंने कहा कि खेती के साथ-साथ पशुपालन में तकनीक हस्तांतरण वर्तमान की महती आवश्यकता है। पशुपालक वैज्ञानिक तौर तरीके अपनाकर निश्चित तौर पर लाभान्वित हो सकेंगे।
कुलगुरु ने कहा कि सहकारिता के माध्यम से मिलकर काम करते हुए आय संवर्धन की दिशा में बेहतरीन परिणाम प्राप्त किए गए हैं। किसान इस मॉडल को अपनाएं। प्रशिक्षण से सीखे ज्ञान का उपयोग कर अपना उद्यम स्थापित करें और अन्य लोगों को रोजगार देने वाले बनें। इस अवसर पर तेलंगाना, उत्तरप्रदेश, गुजरात, हरियाणा, राजस्थान सहित अन्य राज्यों के किसानों ने भी प्रशिक्षण लिया एवं अपने अनुभव साझा किए। प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ दीपाली धवन ने स्वागत उद्बोधन दिया। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा किसानों के हित में गत 10 महीने में इस विषय पर छह प्रशिक्षण आयोजित किए गए हैं। उन्होंने किसानों को प्रशिक्षण से प्राप्त जानकारी अपने आसपास के लोगों के साथ साझा करने की अपील की। कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ पी के यादव ने प्रशिक्षण की विस्तार से जानकारी दी।
निदेशक अनुसंधान डॉ एच एल देशवाल ने कहा कि पशुपालन को लाभप्रद बनाने में वैज्ञानिक प्रबंधन सबसे बड़ी आवश्यकता है। डॉ कुलदीप प्रकाश शिंदे ने आभार व्यक्त किया।
फील्ड का भ्रमण करवा दी गई जानकारी
कार्यक्रम का संचालन करते हुए प्रभारी डॉ. शंकरलाल ने बताया कि सात दिवसीय प्रशिक्षण में किसानों को विश्वविद्यालय स्थित समन्वित कृषि प्रणाली इकाई में सिरोही बकरी पालन, केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान बीकानेर के मगरा, चोकला, मारवाडी भेड़ों की नस्लों के फर्मों, राजूवास बीकानेर के विभिन्न फर्मों का भ्रमण करवाया गया। इस दौरान विभिन्न नस्लों से परिचित करवाते हुए वैज्ञानिक पोषण प्रबंधन की जानकारी दी गई।
इस दौरान उपनिदेशक प्रसार शिक्षा डॉ राजेश वर्मा, डॉ सीमा त्यागी सहित अन्य डीन डायरेक्टर्स और किसान पशुपालक उपस्थित रहे।
