










बीकानेर,जयपुर। मानसरोवर स्थित नीरजा मोदी स्कूल में नौ वर्षीय अमायरा मीणा की 1 नवंबर को संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत को बीस दिन बीत चुके हैं, निष्पक्ष जांच ना होने के चलते अभिभावकों में लगातार आक्रोश बढ़ रहा है। मंगलवार को पिंकसिटी प्रेस क्लब पर संयुक्त अभिभावक संघ द्वारा नीरजा मोदी स्कूल में घटे घटनाक्रम के संदर्भ में पत्रकार वार्ता आयोजित की गई जिसमें संघ के पदाधिकारियों सहित पहली बार सामूहिक तौर पर अमायरा के माता – पिता और परिजन भी शामिल हुए। वार्ता के दौरान अमायरा के माता–पिता विजय कुमार मीणा एवं शिवानी देव मीणा ने स्कूल प्रबंधन और शिक्षकों पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि यह घटना कोई सामान्य दुर्घटना नहीं, बल्कि स्कूल प्रशासन की घोर लापरवाही, संवेदनहीनता और सुनियोजित लापरवाही का परिणाम है।
माता–पिता ने कहा कि “यह दर्द केवल अमायरा का नहीं, हर उस बच्चे का है जो स्कूलों में असुरक्षित है। कोई और बच्चा अमायरा न बने—इसलिए अब यह लड़ाई हम सबकी है।” उन्होंने सभी अभिभावकों से अपील करते हुए कहा कि शनिवार, 22 नवंबर को दोपहर 2 बजे शहीद स्मारक, गवर्नमेंट हॉस्टल पर आयोजित ‘अमायरा को न्याय’ प्रदर्शन में अवश्य शामिल होने का आह्वान किया।
*लगातार बुलिंग और स्कूल प्रशासन की अनदेखी*
अमायरा के माता–पिता ने बताया कि: पिछले लगभग डेढ़ वर्ष से अमायरा लगातार बुलिंग का शिकार हो रही थी। इस संबंध में हमने कई बार शिकायत की, पर कभी भी ठोस कार्रवाई नहीं की गई। अमायरा द्वारा शिक्षकों को बार–बार शिकायत किए जाने के बावजूद उसे ही दोषी ठहराया गया। घटना के बाद क्राइम सीन को धोकर सबूत नष्ट करना — मामले को और संदिग्ध बनाता है।
माता–पिता के अनुसार, घटना वाले दिन केवल अंतिम 30 मिनट में ही अमायरा ने शिक्षिका से पांच बार मदद मांगी, लेकिन उसे डांटकर या अनसुना कर दिया गया।
उन्होंने कहा— “हमारी बच्ची मदद मांगती रही, पर स्कूल ने उसे अकेला छोड़ दिया। यह सिर्फ लापरवाही नहीं, एक मासूम की जिंदगी से खिलवाड़ है।”
*22 नवंबर को विशाल विरोध प्रदर्शन और कैंडल मार्च*
संयुक्त अभिभावक संघ, अमायरा के माता-पिता और प्रदेशभर के अभिभावकों ने घोषणा करते हुए सभी से अपील करते हुए कहा कि: कोई भी विद्यार्थी स्कूलों में अपने आपको असुरक्षित ना समझे उसके लिए शनिवार 22 नवंबर को दोपहर 2 बजे से शहीद स्मारक, गवर्नमेंट हॉस्टल पर एकजुट होना है और विशाल विरोध प्रदर्शन एवं केंडल मार्च के माध्यम से प्रत्येक अभिभावक की आवाज को बुलंद करना है। अभिभावकों की एकजुटता ही निजी स्कूलों की मनमानियों पर लगाम लगा सकेगी और प्रत्येक बच्चों को स्कूलों में सुरक्षित वातावरण उपलब्ध करवा सकेंगे।
विरोध प्रदर्शन का मुख्य उद्देश्य होगा — “अमायरा को न्याय”, “स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा”, और “बच्चों की सुरक्षा सर्वोपरि है”। कैंडल मार्च के माध्यम से अभिभावक यह संदेश देंगे कि किसी भी स्कूल को कानून से ऊपर नहीं माना जाएगा।
जांच पर गंभीर सवाल — अभिभावकों की मांग: जांच समिति में प्रतिनिधि शामिल किया जाए
*अमायरा के परिवार और संयुक्त अभिभावक संघ ने जांच एजेंसियों पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा कि:*
* पुलिस, शिक्षा विभाग, सीबीएसई और राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग की जांच बेहद धीमी और पक्षपातपूर्ण है।
* स्कूल प्रशासन के पक्ष को प्राथमिकता दी जा रही है।
* अभिभावकों द्वारा दिए गए साक्ष्यों और वीडियोज़ को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा।
* घटना के नौ दिन बाद अमायरा का बैग जब्त करना जांच की मंशा पर सवाल खड़ा करता है।
* सीबीएसई व एनसीपीसीआर की कई महत्वपूर्ण गाइडलाइंस को दरकिनार किया जा रहा है।
संयुक्त अभिभावक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने कहा— “अमायरा जैसी बच्चियां इस व्यवस्था की जिम्मेदारी हैं। 20 दिन बाद भी आरोपियों को हिरासत में न लेना और जांच को स्कूल की सुविधा अनुसार चलाना अस्वीकार्य है। हम मांग करते हैं कि जांच समिति में अभिभावक प्रतिनिधि को अनिवार्य रूप से शामिल किया जाए।”
प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कड़े शब्दों में कहा— “नीरजा मोदी स्कूल ने सीबीएसई और एनसीपीसीआर की अनेक गाइडलाइंस का उल्लंघन किया है— 15 दिनों का अनिवार्य सीसीटीवी रिकॉर्ड न रखना, एंटी-बुलिंग कमेटी का न होना, असुरक्षित इन्फ्रास्ट्रक्चर, बच्चों का मिसमैनेजमेंट और घटना के बाद सबूत नष्ट करना। ऐसे स्कूल को चलने देना बाकी बच्चों को खतरे में डालने जैसा है। हम इसकी मान्यता रद्द करने की मांग करते हैं।”
उन्होंने चेतावनी दी कि— “यदि न्याय में समझौता हुआ तो यह सभी निजी स्कूलों को खतरनाक संदेश देगा।”
— मुख्य मांगें
1. नीरजा मोदी स्कूल की तत्काल मान्यता रद्द की जाए।
2. जिम्मेदार शिक्षकों व प्रबंधन पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए।
3. जांच समिति में अभिभावक प्रतिनिधि को अनिवार्य रूप से शामिल किया जाए।
4. जांच की गति तेज कर इसे निष्पक्ष व पारदर्शी बनाया जाए।
5. सबूत नष्ट करने के मामले में स्कूल पर अलग से दंडात्मक कार्यवाही की जाए।
वार्ता के दौरान संयुक्त अभिभावक संघ, अमायरा के माता-पिता और राजस्थान के अभिभावकों ने एक स्वर में कहा: *“अमायरा को न्याय दो — दोषियों को सज़ा दो — और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करो।
