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बीकानेर,प्रदेश में अवैध खनन और परिवहन पर शिंकजा कसने के लिये माइंस विभाग के एक्शन ड्रोन से खनन माफियाओं में हडक़ंप सा मचा हुआ है। कार्यवाही के खौफ से बीकानेर समेत प्रदेश के खनिज इलाकों में खनन माफियाओं ने अपनी अवैध गतिविधियां बंद कर दी है। सीएम भजनलाल की सख्ती के बाद खनिज विभाग के प्रमुख शासन सचिव टी.रविकांत के निर्देश पर निदेशक माइंस महावीर प्रसाद मीणा की निगरानी में चलाये गये एक्शन ड्रोन के बाद यह पहला मौका है जब खनन माफियाओं में खौफ दिख रहा है। जानकारी में रहे कि माइंस विभाग की जयपुर टीम ने अभी हाल ही दुधवा क्षेत्र में ड्रोन सर्वे के जरिये अवैध खनन के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए करीब 11 करोड़ रुपए मूल्य का आयरन ऑर अवैध रूप से खनन और निर्गमन किए जाने का खुलासा किया है। इस कार्यवाही का असर अब बीकानेर के खनन माफिया जगत में भी देखने को मिली रहा है। वजह ये कि बीकानेर जिला जिप्सम,बजरी,मुर्रल और क्ले के अवैध खनन का सबसे बड़ा रेड जोन है। जिले के खाजूवाला, श्रीकोलायत, बज्जू, पूगल, दंतौर,रणजीतपुरा समेत बॉर्डर इलाकों में सक्रिय खनन माफियाओं सलाना छह हजार करोड़ से ज्यादा का अवैध खनन कर राज्य सरकार को नुकसान पहुंचा रहे है।
खाजूवाला बना खनन माफियाओं का हॅब
खनन जगत की कुण्डली खंगालने पर पता चला है कि बीकानेर जिले में खाजूवाला जिप्सम के अवैध खनन का सबसे बड़ा हॅब है। यहां जिप्सम खनन का वैध से दस-पन्द्रह गुणा अवैध कारोबार पनप चुका है। पुलिस, जिला प्रशासन और खान विभाग की अनदेखी के चलते करोड़ों रुपए का अवैध खनन हो रहा है। सरकार को करोड़ों रुपए का राजस्व नुकसान होने के साथ ही सरकारी भूमि खोखली होती जा रही है। खाजूवाला के अलावा दंतौर, कोलायत, रणजीतपुरा आदि क्षेत्रों में दिन-रात लाखों टन जिप्सम का अवैध खनन कर बाहर भेजा जा रहा है। अवैध कारोबार का अनुमान इस से लगाया जा सकता है कि यहां स्वीकृत खानों की संख्या महज 21 है जबकि अवैध रूप से खनन 125 प्वांइट पर हो रहा है। इन इलाकों में सरकारी भूमि से जिप्सम का अवैध खनन कर रहे है। इन जिप्सम माफिया पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं होने के कारण इनके हौंसले बुलंद होते जा रहे है। हैरानी की बात तो यह है कि जागरूक ग्रामीण खनिज विभाग और प्रशासन के अधिकारियों को ग्रामीण शिकायत के लिए फोन करते हैं तो ज्यादातर फोन नो-रिप्लाई आता है।

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