









बीकानेर,भाकृअनुप–राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र (एनआरसीसी), बीकानेर द्वारा “जनजातीय गौरव वर्ष पखवाड़ा–2025” के अंतर्गत निर्धारित गतिविधि “जनजातीय किसानों के लिए प्रत्यक्ष विक्रय हेतु बाजार–सशक्तिकरण एवं समर्थन (एस्टैब्लिश ट्राइबल फार्मर्स’ मार्केट्स फॉर डायरेक्ट सेल ऑफ़ प्रोड्यूस)” विषय पर आज दिनांक 14 नवम्बर 2025 को ग्राम बंजारी, तहसील पीपलखूंट, जिला प्रतापगढ़ (राजस्थान) में विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। एनआरसीसी की जनजातीय उप–योजना (टीएसपी) के अंतर्गत आयोजित इस विशेष कार्यक्रम में इंडियन फार्म फॉरेस्ट्री डेवलपमेंट कोऑपरेटिव लिमिटेड (IFFDC), प्रतापगढ़ का महत्वपूर्ण सहयोग रहा। कार्यक्रम में लगभग 100 जनजातीय पशुपालक परिवारों ने सक्रिय भागीदारी की। इस दौरान किसानों को पशु आहार, खनिज मिश्रण तथा कृषि संबद्ध संसाधन (जैसे तिरपाल, ग्रीन नेट, वॉटर कैम्पर आदि) वितरित किए गए। कार्यक्रम में भगवान बिरसा मुंडा के समाज सुधार, जनजातीय अधिकारों, शिक्षा और स्वराज के क्षेत्र में योगदान पर विशेष प्रकाश डाला गया।
इस दौरान डॉ. श्याम सुंदर चौधरी, वैज्ञानिक एवं नोडल अधिकारी (टीएसपी) ने कहा कि जनजातीय गौरव वर्ष पखवाड़ा के तहत आयोजित इस विशेष कार्यक्रम का उद्देश्य जनजातीय किसानों को बाजार–जुड़ाव, प्रत्यक्ष विक्रय, वैज्ञानिक पशुपालन, तथा आजीविका संवर्धन आदि की दिशा में सशक्त बनाना है। डॉ. चौधरी ने किसानों को वैज्ञानिक तकनीकें अपनाने, सरकारी योजनाओं का अधिकाधिक लाभ उठाने और प्रत्यक्ष बाजार–जुड़ाव के अवसरों का लाभ उठाने के लिए विशेष रूप से प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि जनजातीय किसानों को पशु एवं कृषि संबद्ध विभिन्न सामग्री का भी वितरण किया गया ताकि किसान इन सामग्री/संसाधनों का उपयोग दुग्ध स्वच्छता, पशुओं के स्वास्थ्य संरक्षण, कृषि–उत्पादन की गुणवत्ता सुधार तथा प्रत्यक्ष विक्रय/बाजार–तैयारी में कर सकेंगे।
एनआरसीसी के दुग्ध प्रौद्योगिकी विज्ञान से संबद्ध वैज्ञानिक डॉ. राजेन्द्र कुमार ने इस विशेष अवसर पर जनजातीय किसानों को स्वच्छ दुग्ध उत्पादन, गुणवत्ता संरक्षण तथा सरल घरेलू दुग्ध–प्रसंस्करण तकनीकों के व्यावहारिक महत्व के बारे में उपयोगी जानकारी प्रदान करते हुए बताया कि अच्छी गुणवत्ता वाला दूध एवं उसके मूल्यवर्धित उत्पाद प्रत्यक्ष विक्रय में किसानों को बेहतर मूल्य दिलाते हैं और बाजार–जुड़ाव के अवसरों को मजबूत करते हैं।
एनआरसीसी के निदेशक डॉ. अनिल कुमार पूनिया ने अपने वैज्ञानिकों के माध्यम से कहा कि जनजातीय गौरव वर्ष पखवाड़ा–2025, जनजातीय क्षेत्रों तक वैज्ञानिक ज्ञान पहुँचाने की महत्वपूर्ण पहल है, जिससे जनजातीय समुदाय आधुनिक तकनीक से जुड़कर विकास की मुख्यधारा में आगे बढ़ सके। उन्होंने बताया कि भारत सरकार की जनजातीय उप-योजना (TSP) के तहत जनजातीय समुदायों को ज्ञान, कौशल और आजीविका उन्नयन हेतु तकनीकी सहयोग प्रदान किया जाता है। डॉ. पूनिया ने कहा कि एनआरसीसी वैज्ञानिक पशुपालन, मूल्य संवर्धन और बाजार एकीकरण के साथ-साथ ऊँटनी के दूध से 25 से अधिक मूल्य-संवर्धित उत्पादों के विकास के माध्यम से जनजातीय परिवारों की आय बढ़ाने में सक्रिय रूप से कार्य कर रहा है।
बंजारी ग्राम के सरपंच प्रभुलाल ने एनआरसीसी के प्रयासों के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि यह पहल ग्रामीण उद्यमिता और जनजातीय पशुपालक समुदाय की वास्तविक आवश्यकताओं को पूरा करती है। उन्होंने भारत सरकार की जनजातीय उप-योजना और एनआरसीसी की जमीनी स्तर पर सक्रियता की भी सराहना की। इससे समुदाय को आधुनिक तकनीक और बाजार तक बेहतर पहुँच मिल रही है।
इस अवसर पर आईएफएफडीसी की वरिष्ठ परियोजना अधिकारी, संतोष चौधरी ने जनजातीय परिवारों को सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने और उपलब्ध बाजार–अवसरों से जुड़ने के लिए विशेष रूप से प्रेरित किया। निलेश लव वंशी, क्षेत्रीय अधिकारी, प्रतापगढ़ ने जैव उर्वरक, नैनो उर्वरक, मृदा परीक्षण आदि की जानकारी संप्रेषित की।
एन.आर.सी.सी. द्वारा जनजातीय उपयोजना के अंतर्गत आयोजित इस कार्यक्रम की विभिन्न गतिविधियों के सफल निष्पादन में केन्द्र के सहायक मुख्य तकनीकी अधिकारी राजेश चौधरी, जितेंद्र कुमार, तकनीकी अधिकारी, हरजिंदर आदि का सक्रिय योगदान दिया।
