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बीकानेर। राजस्थान में संचालित सरकारी मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटलों में लगने वाले प्रिंसिपल और अधीक्षक अब घर या क्लिनिक पर निजी प्रैक्टिस नहीं कर सकेंगे।यही नहीं इन पदों पर नियुक्त होने वाले इन डॉक्टरों को यूनिट हेड या डिपार्टमेंट का एचओडी पद भी नहीं दिया जाएगा।इसके अलावा अब कोई डॉक्टर सीधे प्रिंसिपल के पद पर भी नियुक्त नहीं हो सकेगा।जिस डॉक्टर के पास अधीक्षक या अतिरिक्त प्रिंसिपल के कार्य का 3 साल और विभाग के अध्यक्ष का 2 साल का अनुभव होगा,तो उसे ही कॉलेज का प्रिंसिपल और कंट्रोलर बनाया जाएगा।मेडिकल एजुकेशन डिपार्टमेंट से जारी 2 अलग-अलग आदेशों के मुताबिक,किसी भी सरकारी मेडिकल कॉलेज में प्रिंसिपल पद के चयन के लिए 4 सदस्यों की कमेटी गठित की गई है।इसमें मुख्य सचिव,एसीएस कार्मिक विभाग, एसीएस चिकित्सा शिक्षा विभाग और कुलपति आरयूएचएस या मारवाड़ मेडिकल कॉलेज,जोधपुर में से कोई एक होगा।

आदेशों के मुताबिक,प्रिंसिपल पद पर अब 3 साल के लिए नियुक्ति की जाएगी।अगर किसी डॉक्टर का 3 साल का कार्यकाल पूरा हो जाता है और जरूरत पड़ती है तो प्रशासनिक विभाग से अनुमति लेने के बाद उसका कार्यकाल 2 साल के लिए और बढ़ाया जा सकेगा।अधीक्षक के चयन के लिए कमेटी गठित नए नियमों के अनुसार,अब हॉस्पिटल में अधीक्षक पद पर हॉस्पिटल या उससे संबंधित कॉलेज का सीनियर प्रोफेसर स्तर का डॉक्टर ही नियुक्त किया जाएगा। इसका मतलब है कि ग्रुप-2 से जुड़े डॉक्टरों के लिए बड़े हॉस्पिटलों में अधीक्षक बनने का अवसर नहीं मिलेगा। अधीक्षक पद पर चयन के लिए एसीएस मेडिकल एजुकेशन की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की गई है।इस कमेटी में आयुक्त मेडिकल एजुकेशन,अतिरिक्त निदेशक (हॉस्पिटल प्रशासन) राजमेस,चिकित्सा शिक्षा विभाग, अतिरिक्त निदेशक (एकेडमिक) चिकित्सा शिक्षा/राजमेस और संबंधित मेडिकल कॉलेज का प्रिंसिपल सदस्य के तौर पर शामिल होंगे।

अधीक्षक पद का कार्यकाल पूरा होने के बाद जिस डॉक्टर को नया अधीक्षक बनाया जाएगा,उसे 1 माह तक पुराने अधीक्षक के अधीन रहकर काम समझना होगा।इस अवधि में सभी फाइलें का डिस्पोजल पुराने अधीक्षक के साइन से ही होगा। इस एक माह के बाद अगले 2 माह तक हर फाइल पर निर्णय करने से पहले नए अधीक्षक को पुराने अधीक्षक से राय लेनी होगी।

जिन सीनियर प्रोफेसर या प्रोफेसर को हॉस्पिटल में अधीक्षक लगाया जाएगा। उसको अपने मूल काम सीनियर प्रोफेसर या प्रोफेसर पद पर केवल एक चौथाई समय ही देना होगा। जबकि तीन चौथाई समय उसे अधीक्षक के पद पर काम करना होगा।

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