









बीकानेर,जयपुर,संयुक्त अभिभावक संघ ने प्रदेश के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के प्रति गहरी नाराज़गी व्यक्त करते हुए कहा है कि शिक्षा से जुड़े फैसलों का असर हमेशा केवल सरकारी स्कूलों पर क्यों पड़ता है? निजी स्कूलों पर वही नियम और वही कठोरता क्यों लागू नहीं की जाती, जो सरकारी स्कूलों पर की जाती है?
संघ ने कहा कि शिक्षा मंत्री के आदेशों का खामियाज़ा अक्सर सरकारी स्कूल और गरीब परिवारों के बच्चे ही भुगतते हैं—कभी सरकारी स्कूलों को बंद कर दिया जाता है, तो कभी सरकारी स्कूलों में ‘वंदे मातरम’ गवाने के नाम पर केवल दिखावटी कार्रवाइयाँ की जाती हैं। जबकि निजी स्कूल, जहाँ नियमों का पालन होना सबसे अधिक आवश्यक है, वहाँ पर सख़्ती लगभग नगण्य दिखाई देती है। क्या सरकार निजी स्कूलों के आगे बेबस और नतमस्तक हो चुकी है?
संघ ने आरोप लगाया कि निजी स्कूल बड़े स्तर पर नियमों की अवहेलना करते हैं, गंभीर घटनाएँ सामने आती हैं, लेकिन कार्यवाही शून्य रहती है। दूसरी ओर, शिक्षा मंत्री सरकारी स्कूलों में ताले लगवाकर आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के शिक्षा के अधिकार को सीमित कर देते हैं।
*RTE से दाखिला पाए 44,090 बच्चों का भविष्य अधर में*
प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने सवाल उठाया कि RTE के तहत प्रवेश दिए गए 44,090 बच्चों को पिछले छह महीनों से न तो प्रवेश मिला है, न शिक्षा, न ही किसी प्रकार की सुनवाई।
20 नवंबर से अर्धवार्षिक परीक्षाओं का दौर शुरू हो रहा है, लेकिन ये बच्चे कहाँ खड़े हैं?
सरकारी तंत्र यह स्पष्ट करने में भी असफल है कि आखिर प्रवेश के बाद भी इन बच्चों को शिक्षा क्यों नहीं मिल सकी।
क्या यह सीधे-सीधे बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं है?
*नीरजा मोदी स्कूल प्रकरण — क्या प्रभावशाली स्कूलों को सरकार की ढाल प्राप्त?*
प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि नीरजा मोदी स्कूल, मानसरोवर का मामला अत्यंत गंभीर है। यह वही स्कूल है जिसके संबंध में शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ अभद्रता और असहयोग के आरोप लगे। अमायरा जैसी दर्दनाक घटना के बाद भी स्कूल पर ठोस कार्रवाई का अभाव यह दर्शाता है कि सरकार और विभाग इस संस्थान पर हाथ रखने से पीछे हट रहे हैं।
उन्होंने कहा: “क्या नीरजा मोदी स्कूल, सरकार और शिक्षा विभाग से भी बड़ा हो गया है?”
*“क्या इस देश में अब निजी स्कूल मालिक ही कानून तय करेंगे?”*
उन्होंने यह भी बताया कि संघ जल्द ही नीरजा मोदी स्कूल से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों का खुलासा करेगा, जिन पर वर्तमान में दस्तावेज़ और प्रमाण जुटाए जा रहे हैं। तथ्यों के उपलब्ध होते ही यह स्पष्ट होगा कि सरकार और प्रशासन की मौजूदगी में आखिर कौन-सी गतिविधियाँ नियमों के विपरीत संचालित हो रही हैं। संघ ने मांग की है कि सरकार इस स्कूल की हर स्तर पर निष्पक्ष जांच करवाए।
*अभिषेक जैन बिट्टू की टिप्पणी* “यह बेहद शर्मनाक है कि जिनके हाथों में बच्चों की सुरक्षा और शिक्षा की जिम्मेदारी है, वही खामोश बैठे हैं।
*सरकार के दोहरे मापदंड साफ दिखाई देते हैं—* सरकारी स्कूल बंद करना आसान है, लेकिन जब निजी स्कूलों में गंभीर घटनाएँ होती हैं, तब न जांच होती है, न कार्यवाही।
नीरजा मोदी स्कूल जैसे प्रभावशाली संस्थानों को बचाकर सरकार बच्चों के भविष्य से विश्वासघात कर रही है।
संयुक्त अभिभावक संघ इसे किसी भी हाल में स्वीकार नहीं करेगा और बच्चों की सुरक्षा व शिक्षा के अधिकार के लिए हर मोर्चे पर संघर्ष जारी रखेगा।”
