









बीकानेर,उग्र विहारी तपोमूर्ति मुनिश्री कमलकुमार जी ने प्रवचन करते हुए कहा कि आज चौमासी चर्तुदशी है , समग्र जैन समाज में इसका बहुत बड़ा महत्त्व है। उन्होंने कहा कि प्रतिवर्ष तीन चौमासी चर्तुदशीआती है। उनमें फाल्गुन शुक्ला चर्तुदशी, आषाढ़ शुक्ला चर्तुदशी, कार्तिक शुक्ला चर्तुदशी तीनों का अपना-अपना महत्व है। फाल्गुन शुक्ला चर्तुदशी मुनि अपनी इच्छा से कहीं भी मना सकते हैं परंतु आषाढ़ शुक्ला चर्तुदशी तेरापंथ समाज में गुरु आज्ञानुसार ही मनाते हैं,क्योंकि चातुर्मास प्रारंभ होता है। कार्तिक शुक्ला चर्तुदशी आते ही पूरे जैन समाज में स्थविर व रुग्ण साधु – साध्वियों के अलावा सभी साधु – साध्वियों का विहार तय हो जाता है । तेरापंथ समाज में साधु – साध्वियों का विहार गुरु आज्ञानुसार होता है। चर्तुदशी पर काफी लोग उपवास व पौषध करते हैं तथा अनेक प्रकार के त्याग प्रत्याख्यान करके लोग अपने जीवन को साधनामय बनाते है।
आचार्य श्री भिक्षु जन्म त्रिशताब्द्धी समारोह के तहत घर घर भिक्षु भजन संध्या का शुभारंभ
उग्र विहारी तपोमूर्ति मुनि मुनि श्री कमल कुमार जी की प्रेरणा से आचार्य श्री भिक्षु जन्म त्रिशताब्द्धी समारोह के तहत ‘घर घर भिक्षु भजन संध्या’ नामक एक वर्ष के विशेष कार्यक्रम की शुरुआत की गई है। इस अभियान के तहत, प्रत्येक मंगलवार को सायं 6:30 बजे से 8:15 बजे तक गंगाशहर के विभिन्न घरों में तेरापंथ प्रबोध और आचार्य भिक्षु के जीवनवृत्त पर आधारित भजनों का संगान किया जाएगा, जिसमें सामायिक भी शामिल होगी। इस आयोजन की सफलता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पूरे साल के लिए सभी मंगलवारों की बुकिंग एक दिन में ही हो गई। जिस घर में भजन संध्या आयोजित होगी, उस घर के सदस्यों को उस दिन रात्रि भोजन का परित्याग करना होगा।
भजन संध्या के लिए गंगाशहर तेरापंथी सभा के अन्तर्गत भिक्षु भजन मंडल का गठन किया गया। जिसमें पवन छाजेड़ को संयोजक व राजेन्द्र बोथरा एवं कमल भंसाली को सह संयोजक बनाया गया।
भिक्षु भजन संध्या की शुरुआत उग्र विहारी तपोमूर्ति मुनि श्री कमल कुमार जी के सान्निध्य में तेरस की रात्रि में किया गया। अब प्रत्येक मंगलवार को कम से कम एक घर में भिक्षु भजन संध्या मय सामायिक का आयोजन अवश्य किया जायेगा। आज प्रथम दिन नरेन्द्र जी छल्लाणी के यहां से शुरुआत हुयी ।
इसी प्रकार भक्तामर मंडल का भी गठन किया गया। जो प्रत्येक मांगलिक अवसरों पर परिवारों में भक्तामर का जाप करेगे तथा विभिन्न मंगल मंत्रों से, मंगल भावनाओं से वातावरण को पवित्र करेगे। भक्तामर मंडल का संयोजक जतनलाल दूगड़ व सहसंयोजक विजय कुमार बैद को बनाया गया है।
