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बीकानेर संगीन अपराधों में लिप्त बंदियों के लिए सरकार की ओर से काम के बदले दिया जाने वाला मेहनताना अब बंदियों को मिलने लगा है। वर्षों से अटका मेहनताना नहीं मिलने से बंदी परेशान थे लेकिन अब सरकार की ओर से बजट जारी करने एवं बंदियों के खाते खुलने से उन्हें मेहनताना बांटा जा रहा है। जेल प्रशासन अब तक 237 बंदियों को करीब 20 लाख रुपए उनके खाते में जमा करवा चुका है।

जेल में प्रदेश व दूसरे राज्यों के बंदी : बीकानेर केन्द्रीय कारागार में बीकानेर, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, झुंझुनूं, सीकर सहित पंजाब, हरियाणा, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल के बंदी बंद हैं। 208 बंदी जो सजा पूरी कर जा चुके हैं, उनका मेहनताना अटका हुआ है। अब इन बंदियों को तलाश करने के लिए जेल प्रशासन पुलिस का सहयोग ले रहा है।

249 में से 69 की कटौती

बंदियों को जेल में काम करने के एक दिन के 249 रुपए मिलते हैं, जिसमें से 69 रुपए भोजन, कपड़ा व रख रखाव के खर्च होने पर कटौती कर ली जाती है। ऐसे में 180 का बंदियों को भुगतान होना होता है। इन 180 में से भी 25 प्रतिशत पीड़ित पक्ष को दिया जाता है।

सैकड़ों बंदियों का अटका भुगतान

बीकानेर केन्द्रीय कारागार में सजायाफ्ता 208 बंदियों का भुगतान अटका हुआ है। भुगतान अटकने की सबसे बड़ी वजह है बंदियों का बैंक में खाता नहीं होना। वह भी ऐसे बंदी जो सजा पूरी करके जा चुके हैं। ऐसे में अब जेल प्रशासन उनसे पत्र व्यवहार कर संपर्क कर रहा है। जेल सूत्रों के मुताबिक यह 208 बंदी करीब आठ-दस साल पहले ही जेल से सजा पूरी कर जा चुके हैं जबकि जेल प्रशासन वर्ष 2015 से 2019 के बीच के बंदी बता रहा है।

जेल सेवा के नाम पर बंदियों से काम

जेल में सजायाफ्ता बंदियों को ‘जेल सेवा’ के तहत बंदियों से विभिन्न काम करवाए जाते हैं। पढ़े-लिखे, समझदार व योग्य व विनम्र स्वभाव के बंदियों को नाई, उद्योगशाला, ऊन की कताई, गलीचा बनाना, पढ़ाना, सफाई कार्य, लंगर का काम कराया जाता है। इन कामों का बंदियों को मेहनताना दिया जाता है।

अधिकतम छह माह काम

सरकार के नियमानुसार एक बंदी को उसके आचरण के आधार पर काम मिलता है। अच्छा अचारण व काम में निष्ठावान होने पर अधिकतम छह माह तक उसे रोजगार उपलब्ध रहता है। इसके बाद नए बंदी को काम दिया जाता है। बंदी को दो शिफ्ट में
काम करते हैं। सुबह तीन और शाम को भी तीन घंटे काम करते हैं। सुबह सात बजे से 11 बजे तक और शाम को तीन से पांच बजे तक काम करना होता है।

इनका कहना है…

कारागार में सजायाफ्ता

बंदियों को अब तक 20 लाख का भुगतान कर दिया गया है। कुछ बंदी है जो सजा पूरी होने के बाद जा चुके हैं, जिन्हें पत्र व्यवहार किया गया है। 208 बंदी ऐसे हैं, जिनके बैंक में खाते खुले हुए नहीं है, जिससे मेहनताना जमा नहीं करवाया जा सका। खाते खुलते ही मेहनताना बंदियों के बैंक खाते में जमा करवा दिया जाएगा। परमजीतसिंह सिद्धू,अधीक्षक बीकानेर केन्द्रीय कारागार

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