बीकानेर उज्बेकिस्तान के रेगिस्तान से पांच हजार किलोमीटर से अधिक का सफर तय कर सैकड़ो वल्चर (गिद्ध) बीकानेर के जोड़बीड क्षेत्र में पहुंच चुके हैं।
इसी के साथ विदेशी प्रजाति के बाज और चील भी हजारों किलोमीटर का सफर तय कर यहाँ आए है। जोड़बड़ मृत पशुओं को डम्पिंग साइट होने के चलते यहां गिद्धों को पर्याप्त भोजन मिल जाता है। खेजड़ी और जाल के लम्बी टहनियों वाले पेड़ों पर सुरक्षित बैठने की जगह मिलने से हर साल यहां सैकड़ों की संख्या में पावणे आते हैं।
जोड़बीड़ में सर्प, नेवला, गोयरा, बड़ी छिपकली समेत विभिन्न प्रजाति के रेप्टाइल्स भी खूब है विदेशी चील और बाज को यहां शिकार कर पेट भरने के लिए जमीन पर रेंगकर चलने वाले जीवों व अन्य वन्यजीव मिल जाते हैं। भोजन के साथ सर्दी के मौसम की अनुकूलता मिलने के चलते यह विदेशी पक्षी यहां खींचे चले आते हैं।
जोड़बीड़ पर एक नजर
अभी देशी-विदेशी प्रवासी करीब 2500 पक्षी आ रहे है नजर पेड़ पर बैठे वल्चर 3 किलोमीटर दूर तक की हलचल को भांप लेते हैं। चार महीने सर्दी के यहां बिताने के बाद वापस अपने गृह क्षेत्र चले जाते हैं। हजार से ज्यादा विदेशी पर्यटक पक्षियों को देखने हर साल आते है यहां
क्वीन ऑफ इगल और किंग ऑफ वल्चर भी आएंगे
विश्व भर की उन गिनी-चुनी साइटों में से एक बीकानेर की जोड़बीड़ है जहां एक साथ सात प्रजाति के गिद्ध, दुलर्भ प्रजाति की सबसे खूबसूरत चील (क्वीन ऑफ इगल) और सबसे बड़े गिद्ध (किंग ऑफ वल्चर) हर साल देखने को मिलते हैं। हालांकि अभी सुन्दर और चमकीली इस्टन इम्पीयर इगल नहीं आई है। साथ ही सबसे बड़ा वल्चर सिनेरियस के आने का इंतजार हो रहा है।
इस बार सबसे अधिक गिद्ध
पक्षी प्रेमी राकेश शर्मा के अनुसार इजिप्सीयन वल्चर (छोटा गिद्ध), ग्रीफन वल्चर (सफेद कॉलर वाला) और हिमालयन वल्चर समेत विदेशी प्रजाति के वल्चर आ चुके है। सबसे बड़े आकार के गिद्ध सिनेरियस को अभी नहीं देखा गया है। स्टेपी इगल भी पचास से अधिक संख्या में दिखाई पड़ रही है। लगर फाल्कन (बाज) अगस्त-सितम्बर में आने शुरू हो गए थे। इनकी तादाद भी सौ के पार है। सामान्य बाज से बड़े बजार्ड प्रजाति के फाल्कन भी आ चुके है। अभी लोंग लेग बजाई और आने है।
बीस फीसदी ज्यादा का अनुमान
पक्षियों पर अध्ययन करने वाली संस्था से जुड़े दाउलाल बोहरा के अनुसार पिछले साल सात प्रजाति के करीब 1800 वल्चर हजारों किलोमीटर दूर से यहां जोड़बीड़ में आए थे इस बार बीस प्रतिशत अधिक वल्चर आने का अनुमान है। इनकी अभी तादाद करीब ढाई हजार हो चुकी है। अगले कुछ दिनों में और भी आ सकते है।