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बीकानेर,केस एक :- इन्द्रा कॉलोनी निवासी कुशालसिंह मेड़तिया। तीन साल पहले खाते से ६५ हजार रुपए ऑन लाइन ठगों ने पार कर लिए थे। संबंधित बैंक और बीछवाल पुलिस थाने में रिपोर्ट कराई लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। पीडि़त बैंक व थाने के चक्कर निकालते-निकालते अब थक चुका है।

केस दो :- नयाशहर थाना क्षेत्र निवासी कमल के ढाई साल पहले ५९ हजार रुपए खाते से निकल गए। उसके मोबाइल पर न ओटीपी आई और न ही किसी तरह की खाते की डिटेल पूछी लेकिन फोन आने के दस मिनट बाद ही खाते से ५९ हजार रुपए निकल गए। इस संबंध में भी पुलिस ठगों को नहीं पकड़ा पाई। यह दो तो महज उदाहरण है। ऐसे सैकड़ों लोग है जो साइबर ठगों के हाथों अपनी मेहनत की कमाई गंवा चुके हैं।

बीकानेर। मरुनगरी में ऑनलाइन ठगी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। ठग हर रोज किसी न किसी को झांसे में लेकर अपना शिकार बना रहे हैं। ऑनलाइन खरीदारी, ऑनलाइन पेमेंट का चलन बढऩे से ठग ज्यादा सक्रिय हो गए है। ठगों द्वारा फर्जी नाम-पत्ते से मोबाइल सिम या बैंक खाता खुलवाकर आमजन को ठगने से पुलिस उलझन में है। यही वजह है कि पुलिस असली ठग तक नहीं पहुंच पा रही है। हालात यह है कि कभी बैंक लोन, कभी बैंक खाता वेरिफिकेशन तो कभी कोरियर से पार्सल पहुंचाने के नाम पर ऑनलाइन ठगी कर रहे हैं। आरोपियों की पहचान करने में लगी पुलिस को कई फर्जी-नाम पत्तों की जानकारी मिली है लेकिन उससे ठगों पर कोई असर नहीं पड़ रहा। बैंक खातों से पैसे की अवैध निकासी के मामले सबसे ज्यादा सामने आ रहे हैं।

जिला पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक दो साल आठ महीनों में ऑनलाइन ठगी के ५३ मामले दर्ज हुए हैं। वर्ष २०१९ में २१ मामले, २०२० में १९ और २०२१ में अगस्त माह तक ऑनलाइन ठगी के १३ मामले दर्ज हुए हैं। विडम्बना है कि पुलिस इन ५३ मामलों में से ४३ में एफआर लगा चुकी हैं। ऐसे में जिन लोगों के खाते से रुपए निकले या किसी भी बहाने से ठगी हुई पुलिस किसी तरह का अपराध नहीं मान रही। जिला मुख्यालय पर साइबर सेल पूरी यूनिट काम कर रही है। पुलिस महानिरीक्षक बीकानेर रेंज कार्यालय एवं जिला पुलिस अधीक्षक कार्यालय में साइबर सेल अलग-अलग हैं। इसके बावजूद आमजन की गाढ़ी कमाई लूटने वालों को पुलिस नहीं पकड़ पा रही है।

५० फीसदी मामले दर्ज ही नहीं होते

जिले में साइबर अपराध का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है। जिले के विभिन्न थानों में आए दिन इससे संबंधित मामले लेकर पीडि़त पहुंच रहे हैं। जिला पुलिस में साइबर क्राइम मॉनिटरिंग के लिए साइबर सेल का गठन किया हुआ है लेकिन अनुसंधान को अपेक्षित गति नहीं मिल पा रही। पकड़ जाने का भय नहीं होने से साइबर अपराधी बेखौफ घटना को अंजाम दे रहे हैं। मौजूदा समय में इंटरनेट का उपयोग हर क्षेत्र में बढ़ा है जैसे सोशल नेटवर्किंग, ऑनलाइन शॉपिंग, गेमिंग डाटा, स्टोरेज, ऑनलाइन जॉब। इसका ही साइबर ठग फायदा उठा रहे हैं।

दूसरे राज्य का लोकेशन
ऑनलाइन ठगी के अधिकांश मामलों में ठगों का लोकेशन पश्चिम बंगाल, दिल्ली, झारखंड या अन्य दूसरे राज्य का मिल रहा है। ऑनलाइन ठगी करने वाले अधिकांश गिरोह इन्हीं राज्यों में सक्रिय हैं। शातिर ठग ऑनलाइन सुविधाओं का लाभ लेने वालों को अधिक निशाना बना रहे हैं।

ऐसे बनाते हैं शिकार

साइबर अपराधियों ने बड़ी.बड़ी नामी ई-कॉमर्स कंपनियों की वेबसाइट और एप का क्लोन बना लिए हैं। यह वेबसाइट आमजन को ऑरीजनल वेबसाइट जैसी ही लगती है। वेबसाइट के प्रोडक्ट्स पर भारी ऑफर और डिस्काउंट देकर फंसाया जाता है। लेकिन जब इन वेबसाइट्स या एप्स पर पेमेंट कर दिया जाता है तो उसके कुछ देर बाद यह लिंक गायब हो जाता है। इस तरह साइबर अपराधी बड़े ही शातिराना अंदाज में लोगों को चूना लगा रहे हैं। साइबर सेल साइबर ठगों का कुछ नहीं कर पा रहा है।

ठगी के तरीके नए-नए

– फोन-पे यूजर्स को रिवॉर्ड और कैशबैक देने का झांसा देकर ठगी
– वॉलेट, फोन-पे एप में लिंक भेजकर खातों में सेंध
– कैशबैक, आकर्षक पुरस्कार व रिबॉर्ड देने के मैसेज भेजकर ठगी
– सोशल मीडिया में भी ठग फर्जी लिंक भेजकर ठगी
– कंपनियों के नाम से हूबहू लिंक पोस्ट कर ठगी

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