
बीकानेर,तमसो मां ज्योतिर्गमय” एवं सर्वेंद्रीय नयनम प्रधानम
ये दोनों सूक्तियां तभी चरितार्थ हो सकती है जब हम अपने नयनों की उचित देखभाल करते रहे। आज विश्व दृष्टि दिवस पर इस विषय पर बात करने का एक अच्छा अवसर भी है। आंखों को सभी इंद्रियों में सर्वश्रेष्ठ इंद्रिय माना गया है।हम जो भी जीवन जीने के लिए सीखते है या गुणवत्ता पूर्वक जीना सीखते है उसमें लभभग 80 प्रतिशत आंखों द्वारा अर्थात् देख कर सीखते है।इसलिए आंखों का महत्व बहुत अधिक है। भारत में अंधता एक बहुत बड़ी समस्या है जिनमें प्रमुख मोतियाबिंद, अपवर्तक दोष(निकट दृष्टि एवं दूर दृष्टि दोष) कालापानी(ग्लूकोमा) डायबिटिक रेटिनोपैथी, कॉर्निया का सफेद हो जाना, जिसे आम भाषा में आंख का फूला भी कहते है, तथा आंख में चोट लग जाना आदि कुछ प्रमुख कारण हैं।हम आंखों की देखभाल की बात करे तो हमें बच्चों से लेकर बड़ों तक समय समय पर नेत्र विशेषज्ञ से जांच कराते रहना चाहिए।बच्चों की बात करें तो उन्हें कम रोशनी में या अधिक तेज प्रकाश में,अधिक के देर तक पढ़ना,लेट कर पढ़ना ,ये छोटी छोटी बाते आज भी प्रासंगिक और प्रमाणिक है। छोटे बच्चों की समय समय पर आंखों की जांच कराते रहना चाहिए ताकि उनमें किसी भी प्रकार को दूर दृष्टि दोष या निकट दृष्टि दोष न हो,या उसे एम्ब्लियोपिया यानी “आलसी आंख” विकसित नहीं हो और उसका समुचित उपचार किया सके। एम्ब्लियोपिया करीब 10 साल के बाद ठीक नहीं हो पाता और इस से उत्पन्न दृष्टि विकार स्थायी हो सकता है।
इसी तरह युवाओं में जो आजकल कंप्यूटर और मोबाइल के अत्यधिक उपयोग करते है उनमें “कंप्यूटर विजन सिंड्रोम” बहुत आम है।इसमें आंखों में जलन खुजली,लाली आना और पानी गिरना आम है। इससे बचने के लिए कंप्यूटर और मोबाइल का जरूरत होने पर ही प्रयोग करना चाहिए और अधिक प्रयोग से बचना चाहिए, तथा बीच बीच में हर 20 मिनिट के बाद, 20 सेकंड के लिए,20 फीट दूर देखने की सलाह दी जाती है ( इसे याद रखने के लिए 20/20/20 नियम भी कहते है) इस से आंखों की मांसपेशियों को आराम मिलता है।
इसी तरह बुजुर्गो।मोतियाबिंद , कालापानी आदि रोग आम है परन्तु इनका इलाज एवं रोकथाम संभव है।कुछ साधारण सी बाते है जिन पर अमल कर के हम अपनी आंखों की सुरक्षा पर ध्यान दे सकते है, जैसे
हमें दिन में एक दो बार साफ पानी से आंखों को धोना चाहिए,
बच्चों को तीखे खिलौने एवं या वस्तु से खेलने से दूर रखना चाहिए,तीर कमान से आंखों में बहुत घातक चोट आ जाना बहुत आम है जिस से बच्चों की दृष्टि बाधित हो जाती है। साथ ही आंख में चूना गिर जाना,जो बहुत ही आम बात है,आंखों की ज्योति के लिए बहुत घातक होता है । अभी दीपावली आने वाली है तो हमें ध्यान रखना होगा कि पटाखों से भी बहुत घातक चोट आंखों को पहुंच सकती है यह तक को अंधता भी हो सकती है, इसलिए बच्चों को बड़ों की देख रख में ही पटाखे चलाने चाहिए।यही नहीं किसी भी तरह का इलाज स्वयं नहीं कर योग्य नेत्र चिकित्सक से तुरंत से परामर्श लेना चाहिए ।यदि हम इन बातों पर अमल करने का आज ही प्रण लेते है, और हम खुद समझ सके और लोगों को भी समझाते हैं, तो हमे समझना चाहिए कि हमारे लिए आज का दिन “विश्व दृष्टि दिवस” सार्थक हुआ है।