
बीकानेर,प्रज्ञालय संस्थान एवं राजस्थानी युवा लेखक संघ द्वारा अपने गत साढ़े चार दशकों की सृजनात्मक एवं रचनात्मक यात्रा में नव पहल व नवाचार के तहत इस बार ‘पुस्तकालोचन’ कार्यक्रम जो कि पुस्तक संस्कृति एवं आलोचना विधा को समर्पित है, जिसकी चौथी कड़ी स्थानीय नत्थूसर गेट बाहर स्थित लक्ष्मीनारायण रंगा सृजन-सदन में हिन्दी राजस्थानी के वरिष्ठ कवि रवि पुरोहित के हिन्दी काव्य संग्रह ‘‘आग अभी शेष है’’ पर आयोजित हुई।
पुस्तकालोचन कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार-आलोचक कमल रंगा ने कहा कि रवि पुरोहित कि कविताएं पाठकों में प्रकृति एवं मानवीय राग के प्रति लगाव पैदा करती है, साथ ही आज के जटिल एवं क्रूर दौर में आपकी कविताएं समाज में मानवीय मूल्यों एवं रिश्तों की सौरम के लिए अपनी सशक्त काव्य अभिव्यक्ति पाठकों तक पहुंचती है। रंगा ने कहा कि कवि रवि पुरोहित अपनी काव्य सम्प्रेषणत्ता के माध्यम से पाठकों से एक रागात्मक रिश्ता जोडते है। आपकी काव्य कहन एवं भाषा भंगिमा जुदा है।
समारोह के मुख्य अतिथि वरिष्ठ आलोचक एवं शिक्षाविद् डॉ. उमाकान्त गुप्त ने कहा कि कवि रवि पुरोहित की कविताएं समय की धड़कन से संवाद करती है, साथ ही समय के सच को उद्घाटित करती है। कवि रवि अपनी रचनाओं के माध्यम से पाठकों को प्रतिरोध के प्रति आंदोलित कर अपनी काव्य सृजन धार को पाठक तक पहुंचाते है। गुप्त ने कहा कि पुस्तकालोचन कार्यक्रम अपने आप में नव पहल है, जिसके माध्यम से विशेष तौर से आलोचना साहित्य पर ठोस मंथन होता है, साथ ही पुस्तक संस्कृति को समृद्ध करने का प्रज्ञालय का यह सही एवं सकारात्मक नवाचार है।
‘‘आग अभी शेष है’’ पर आलोचनात्मक विचार व्यक्त करते हुए कार्यक्रम की मुख्य वक्ता वरिष्ठ साहित्यकारा मोनिका गौड़ ने कहा कि यह संग्रह प्रकृतिशील प्रेम कविताओं का है, साथ ही कविताओं के वैश्ष्ट्यि के कारण समकालीन रचना धर्मिता से थोड़ा अलग है।
पुस्तक पर बतौर संवादी अपनी बात रखते हुए वरिष्ठ शायर कासिम बीकानेरी ने कवि रवि पुरोहित की कविताओं को विभिन्न पक्ष उजागर करने वाली एवं साहित्य, समाज, प्रेम रिश्तों आदि जैसे विषयों पर अपनी अनुभूति व्यक्त करने वाली बताई।
दूसरे संवादी वरिष्ठ कवि जुगल किशोर पुरोहित ने रवि पुरोहित कि कविताओं को वर्तमान समय की स्थितियां एवं परिस्थितियों को अभिव्यक्त करने वाली बताई।
सभी संभागियों द्वारा प्रस्तुत जिज्ञासाओं का समाहार करते हुए कवि रवि पुरोहित ने कहा कि कविता की अपनी सर्जनात्मक प्रविधि और वास्तु होता है, जिसमें भाव, भाषा, संवेदना, शिल्प, अर्थवत्ता, सामाजिक सरोकार सलीका और कहन की तमीज मिल कर कविता के वास्तु का निर्माण करते हैं।
प्रारंभ में सभी का स्वागत करते हुए वरिष्ठ शायर जाकिर अदीब ने प्रज्ञालय संस्थान के गत साढे चार दशकों के साहित्यिक अवदान को रेखांकित करते हुए पुस्तकालोचन के महत्व को बताया।
कार्यक्रम में साहित्यकार बुलाकी शर्मा, राजेन्द्र जोशी, गिरिराज पारीक, सरोज शर्मा, गोविन्द जोशी, संगीता ओझा, गोपाल कुमार व्यास ‘कुण्ठित’, श्रीमती गुलजार बानो, महेन्द्र जोशी, कृष्णचंद पुरोहित, डॉ. अजय जोशी, राजेश रंगा, विप्लव व्यास, डॉ. फारूक चौहान, भवानी सिंह, अशोक शर्मा, तोलाराम सारण, घनश्याम ओझा, कार्तिक मोदी सहित गणमान्यों की सहभागिता रही।
कार्यक्रम का सफल संचालन कवि गिरीराज पारीक ने किया एवं सभी का आभार मो. फारूक चौहान ने ज्ञापित किया।i