
बीकानेर,गणिवर्य मेहुल प्रभ सागर, मुनि मंथन प्रभ सागर व बाल मुनि मीत प्रभ सागर, साध्वी दीपमाला श्रीजी व शंखनिधि श्रीजी के सान्निध्य में आध्यात्म पर्व नवपद ओली के तीसरे दिन बुधवर को रांगड़ी चौक के सुगनजी महाराज के उपासरे में आचार्य पद की महिमा, स्तुति व वंदना के साथ मनाया गया।
गणिवर्य मेहुल प्रभ सागर म.सा. ने प्रवचन में गुरु तत्व की महिमा का स्मरण दिलाते हुए कहा कि गुरु बिना सही तरीके से जीवन ही नहीं शुरू होता। हमारा मन पशु की तरह है, नौ पद के दोनों दिनों में हमने देव तत्व की आराधना की, और पर्व के तीसरे दिन गुरु तत्व की आराधना है। देव तत्व की आराधना करने से सम्यक दर्शन, ज्ञान, चारित्र व तप की प्राप्ति होती है। आचार्य भगवंत सदाचार के भंडार होते है। अरिहंत भंगवान के विहार में शासन की धुरी को वहन करने का कार्य आचार्य भगवंत करते है। अरिहंत और सिद्ध का स्वरूप बनाने वाले आचार्य भगवंत ही होते है।
उन्होंने कहा कि भगवान महावीर के शासन का प्रसारण करने वाले आचार्य भगवंत ही होते है। आचार्य जिनवाणी के अर्थ की वांचना देते है। आचार्य सदा पंचाचार का पालन करते हुए उसकी पालना की प्रेरणा देते है। आचार्य भगवंत के माध्यम से जन-जन तक जिन शासन से पहुंच रहा है। हम सब आचार्य भगवंतों के उपकारों का स्मरण कर शासन की गरिमा को समझने का पुरुषार्थ करें।