
बीकानेर,बीकानेर रेल मंडल हमेशा संरक्षित रेल संचालन हेतु नवाचारों का उपयोग करता रहा है। इसी क्रम में बीकानेर रेल मंडल अब उच्च तकनीकी प्रणाली से युक्त ‘कवच’ का उपयोग करेगा। मंडल अब 1775 किलोमीटर रूट किलोमीटर को लगभग 800 करोड रुपए की लागत से इस तकनीक का उपयोग करेगा।
संरक्षित रेल संचालन में अत्याधुनिक और अपग्रेड सिगनल प्रणाली की अहम भूमिका है। उत्तर पश्चिम रेलवे के बीकानेर रेल मंडल पर संरक्षा सुदृढ़ करने के लिए टक्कररोधी प्रणाली कवच प्रणाली का कार्य प्रगति पर है।
उत्तर पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी श्री शशि किरण के अनुसार उत्तर पश्चिम रेलवे के 5561 किलोमीटर रेल मार्ग में लगभग 2300 करोड़ रूपए की लागत के साथ स्वदेशी कवच प्रणाली का कार्य स्वीकृत है। उत्तर पश्चिम रेलवे के बीकानेर मण्डल पर 1775 किलोमीटर रेल मार्ग पर कवच प्रणाली स्थापित करने के कार्य को लगभग 800 करोड़ रूपए की लागत के साथ स्वीकृति प्रदान की गई है। बीकानेर मण्डल में संरक्षा को सुदृढ़ करने के लिए अत्याधुनिक कवच 4.0 प्रणाली स्थापित की जाएगी।
उत्तर पश्चिम रेलवे पर स्वदेशी टक्कररोधी प्रणाली कवच की स्थापना के लिए 1586 किलोमीटर रेल मार्ग पर स्टेशन कवच, टावर व आप्टिकल फाइबर केबल डालने के कार्य हेतु टेण्डर अवार्ड कर दिए गए है और सभी कार्य प्रगति पर है। अजमेर, जयपुर और जोधपुर मण्डल में शेष बचे रेल मार्ग में कवच प्रणाली स्थापित करने के लिए टेण्डर प्रक्रिया प्रगति पर है। बीकानेर मण्डल पर कवच प्रणाली के कार्य स्वीकृत होने से अब उत्तर पष्चिम रेलवे पर सभी मण्डलों में कार्य स्वीकृत हो गया है। उत्तर पश्चिम रेलवे के सभी मण्डलों में कवच प्रणाली स्थापित हो जाने के उपरांत रेलवे संरक्षा बेहतर व सुदृढ़ होगी।
कवच प्रणाली की विशेषताएं
● कवच एक स्वदेशी रूप से विकसित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली है। इसे ट्रेन की गति की निगरानी और नियंत्रण करके दुर्घटनाओं को रोकने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
● इसे सुरक्षा अखंडता स्तर 4 (SIL 4) पर डिज़ाइन किया गया है। यह सुरक्षा डिज़ाइन का उच्चतम स्तर है।
● कवच का विकास 2015 में शुरू हुआ। इस प्रणाली का तीन वर्षों से अधिक समय तक व्यापक परीक्षण किया गया।
● तकनीकी सुधारों के बाद, इस प्रणाली को दक्षिण मध्य रेलवे में स्थापित किया गया। पहला परिचालन प्रमाणपत्र 2018 में प्रदान किया गया।
● दक्षिण मध्य रेलवे में प्राप्त अनुभवों के आधार पर, एक उन्नत संस्करण ’कवच 4.0’ विकसित किया गया। इसे मई 2025 में 160 किमी प्रति घंटे तक की गति के लिए अनुमोदित किया गया।
● कवच के पुर्जे स्वदेश में ही निर्मित किए जा रहे हैं।
*कवच प्रणाली की विशेषताएं*
कवच एक अत्यंत जटिल प्रणाली है। कवच का चालू होना एक दूरसंचार कंपनी स्थापित करने के बराबर है। इसमें निम्नलिखित उप-प्रणालियाँ शामिल हैंः
1. आरएफआईडी टैगः ट्रैक की पूरी लंबाई में हर 1 किमी पर लगाए जाते हैं। हर सिग्नल पर भी टैग लगाए जाते हैं। ये आरएफआईडी टैग ट्रेनों की सटीक स्थिति बताते हैं।
2. दूरसंचार टावरः ऑप्टिकल फाइबर कनेक्टिविटी और बिजली आपूर्ति सहित पूर्ण दूरसंचार टावर, ट्रैक की पूरी लंबाई में हर किलोमीटर पर लगाए जाते हैं। लोको पर स्थापित कवच प्रणालियाँ और स्टेशनों पर कवच नियंत्रक इन टावरों का उपयोग करके लगातार संचार करते रहते हैं। यह एक दूरसंचार ऑपरेटर की तरह एक संपूर्ण नेटवर्क स्थापित करने के बराबर है।
3. लोको कवचः यह पटरियों पर लगे RFID टैग से जुड़कर दूरसंचार टावरों तक सूचना पहुँचाता है और स्टेशन कवच से रेडियो सूचना प्राप्त करता है। लोको कवच को इंजनों की ब्रेकिंग प्रणाली के साथ भी एकीकृत किया गया है। यह प्रणाली यह सुनिश्चित करती है कि आपातकालीन स्थिति में ब्रेक लगाए जाएँ।
4. स्टेशन कवचः प्रत्येक स्टेशन पर स्थापित। यह लोको कवच और सिग्नलिंग प्रणाली से सूचना प्राप्त करता है और लोको कवच को सुरक्षित गति के लिए मार्गदर्शन करता है।
5.ऑप्टिकल फाइबर केबल (OFC) :उच्च गति डेटा संचार के लिए पटरियों के साथ ऑप्टिकल फाइबर बिछाया जाता है जो इन सभी प्रणालियों को जोड़ता है।
6. सिग्नलिंग प्रणालीः सिग्नलिंग प्रणाली को लोको कवच, स्टेशन कवच, दूरसंचार टावरों आदि के साथ एकीकृत किया जाता है।
रेलवे संरक्षा के लिए प्रतिबद्व है और संरक्षित रेल संचालन के लिए अत्याधुनिक प्रणाली का उपयोग किया जा रहा है।