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बीकानेर,जयपुर। संयुक्त अभिभावक संघ के प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि राजस्थान की भाजपा सरकार शिक्षा व्यवस्था सुधारने की बजाय उसे चौपट करने का काम कर रही है। शिक्षा मंत्री मदन दिलावर केवल उन्हीं सरकारी स्कूलों का औचक निरीक्षण कर रहे हैं जहाँ पहले से ही व्यवस्थाएँ दुरुस्त हैं और वहाँ भी एनकेन प्रकारेण प्रक्रिया अपनाकर शिक्षकों को तथ्यहीन आरोपों के आधार पर निलंबित या बर्खास्त कर रहे हैं। इससे सरकारी स्कूली शिक्षा व्यवस्था को कमजोर करने की साज़िश झलकती है।

उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्री उन स्कूलों में झांकने तक नहीं जाते जहाँ वास्तव में छात्र-छात्राएँ और अभिभावक गंभीर शिकायतें कर रहे हैं। इसका ताज़ा उदाहरण जयपुर के मुरलीपुरा सरकारी स्कूल की घटना है, जहाँ बच्चों ने गंभीर आरोप लगाए, लेकिन मंत्री ने वहाँ जाना तक मुनासिब नहीं समझा। इसी तरह की लापरवाही झालावाड़, जैसलमेर और उदयपुर में भी देखने को मिली, जिसकी वजह से 9 मासूम बच्चों की मौत जैसी दर्दनाक घटनाएँ सामने आईं।

अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि बीते कुछ दिनों में कई सरकारी स्कूलों में छात्राओं के शोषण, शिक्षकों की भारी कमी, मध्याह्न भोजन में गड़बड़ी और शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाओं के अभाव जैसी घटनाएँ उजागर हुई हैं। इसके बावजूद सरकार समस्या समाधान के बजाय साढ़े चार हजार से अधिक शिक्षकों के मनमाने तबादले कर रही है। बिना मूल्यांकन किए अच्छे परिणाम देने वाले शिक्षकों को भी इधर-उधर कर दिया गया है। इसका सीधा असर विद्यार्थियों की पढ़ाई पर पड़ रहा है। बाड़मेर में तो स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि विद्यार्थियों को ही स्कूल गेट पर तालाबंदी कर प्रिंसिपल के ट्रांसफर का विरोध करना पड़ा।

उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों की दुर्दशा के बीच RTE (Right to Education) दाखिला विवाद भी पाँच महीने से अनसुलझा है। हजारों गरीब और वंचित बच्चों का चयन होने के बावजूद अब तक प्रवेश नहीं हुआ है। परिणामस्वरूप बच्चे घर बैठे हैं और उनका भविष्य अंधकार में धकेला जा रहा है।

निजी स्कूल संचालक खुलेआम मनमानी कर रहे हैं—कभी बच्चों को ठुकराते हैं, कभी अभिभावकों से दुर्व्यवहार कर धमकाते हैं। शिकायतों के बावजूद शिक्षा मंत्री और विभाग मूकदर्शक बने बैठे हैं और केवल अभिभावकों की हो रही बेइज्जती का तमाशा देख रहे हैं।

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