
बीकानेर,रांगड़ी चौक के सुगनजी महाराज के उपासरे में गुरुवार को चातुर्मासिक प्रवचन में गणिवर्य मेहुल प्रभ सागर म.सा. ने कहा कि संसार पाप व पुण्य के मैदान में खेल रहा है। पुण्य के उदय से शरीर व सांसारिक विषय भोग की सभी वस्तुएं व सुविधाएं मिलती है। पाप के उदय होने पर व्यक्ति हर वक्त दुःखी व परेशान रहता है।
उन्होंने कहा कि व्यक्ति को पुण्य के उदय होने पर, सुख सुविधाओं के मिलने पर इतराते हुए अहंकार नहीं करना चाहिए तथा पाप के उदय होने पर परमात्मा का स्मरण करते हुए सावधानी रखनी चाहिए। हमें परमात्मा की कृपा, पुण्य व पुरुषार्थ से मिले संसाधनों का सदुपयोग करते हुए पुण्य के खाते में श्रीवृद्धि करनी है। देव, गुरु व धर्म के प्रति समर्पण रखना है। पुण्य के खाते में वृद्धि हमें आत्म व परमात्म से जोड़ते हुए मोक्ष के मार्ग की ओर बढा सकती है। पुण्य के उदय होने से धर्म तथा पाप के उदय से अधार्मिक, अनैतिकता, अनाचार, अकरणीय कार्य सहित अनेक पाप प्रवृतियां अच्छी लगती है। हमें सदा पाप प्रवृतिया का विसर्जन व पुण्य प्रवृतियों का सर्जन करना चाहिए।