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बीकानेर,वैज्ञानिक भेड़ बकरी पालन के माध्यम से उद्यमिता विकास पर सात दिवसीय प्रशिक्षण सोमवार को स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय में सम्पन्न हुआ। प्रशिक्षण के समापन अवसर पर आयोजित समारोह में केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान अविकानगर, टोंक के निदेशक डॉ अरुण कुमार तोमर ने पशुपालकों को भेड़ बकरी पालन में नस्ल सुधार कर कैसे उच्च गुणवत्ता वाले पशुधन को तैयार करने तथा इससे अधिक से अधिक लाभ अर्जित करने के तरीकों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बकरी के दूध के मूल्य संवर्धन उत्पाद बनाने के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि वर्तमान में बकरी के दूध से बने उत्पादों की मांग बढ़ी है। ऐसे में पशुपालक वैज्ञानिक तरीकों से भेड़ एवं बकरी पालन कर आय का अतिरिक्त स्रोत सृजित कर सकते हैं। कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ प्रमोद कुमार यादव ने कहा कि पशुपालक प्रशिक्षण से मिली जानकारी को व्यावहारिक रूप से अपनाते हुए अधिकाधिक लाभ लें। इससे अन्य लोग भी प्रेरित होंगे। विश्वविद्यालय द्वारा ये भेड़ बकरी पालन से संबंधित इस वर्ष यह पांचवां प्रशिक्षण आयोजित किया गया है।
इस अवसर पर निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ नीना सरीन ने कहा कि भेड़ बकरी पालन में कम लागत के कारण उद्यमिता विकास के माध्यम से स्वरोजगार और रोजगार सृजन का बेहतर अवसर मिल सकता है। उन्होंने बताया कि पशुपालकों और किसानों को प्रशिक्षण के दौरान भेड़ बकरी पालन पोषण के वैज्ञानिक तरीकों, प्रबंधन, सहित उद्यमिता के विभिन्न विधाओं की विस्तार से जानकारी दी गई है। प्रशिक्षण में राजस्थान के अलावा भी उत्तरप्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र सहित 6 राज्यों से 57 किसान शामिल हुए। पशुपालकों को सरकार की योजनाओं, बैंकिंग सेक्टर के माध्यम से ऋण प्रकिया इत्यादि की विस्तार से जानकारी दी गई। डॉ शंकरलाल ने प्रशिक्षण की रुपरेखा पर विस्तार से जानकारी दी और क्षेत्रीय निदेशक अनुसंधान डॉ. एच. एल. देशवाल ने सभी आभार व्यक्त किया।

विभिन्न फर्मों का भ्रमण, दी गई हैंड्स आन ट्रेनिंग
डॉ शंकरलाल ने बताया कि सात दिवसीय प्रशिक्षण में किसानों को विश्वविद्यालय स्थित समन्वित कृषि प्रणाली इकाई में सिरोही बकरी पालन, केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान बीकानेर के मगरा, चोकला, मारवाडी भेड़ों की नस्लों के फर्मों का भ्रमण करवाया। साथ ही राजूवास बीकानेर के विभिन्न फर्मों में पशुपालकों को अलग अलग नस्लों से परिचित करवाते हुए वैज्ञानिक पोषण प्रबंधन की जानकारी दी गई।

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