Trending Now












बीकानेर,भाषा की सहजता में अवरोध आज के समय की सबसे बड़ी चुनौती है क्योंकि आज हम अनेक भाषाओं के साथ रह रहे हैं।यह कथन बाफना स्कूल द्वारा आयोजित “शब्दों को वनवास! लेखकों के लिए चुनौतियां और अवसर” कार्यक्रम में भारत के प्रसिद्ध फिल्म राइटर, ऑथर और कॉलमनिस्ट और कार्यक्रम के मुख्य वक्ता श्री दुष्यंत ने कहा।

बाफना स्कूल के सीईओ डॉक्टर पीएस वोहरा ने कार्यक्रम के महत्वता को प्रकट करते हुए कहा कि बाफना स्कूल अपनी फैकल्टी का सर्वांगीण विकास करने में हमेशा अग्रसर रहता है और समय-समय पर अनेक कार्यक्रमों का आयोजन वर्ष पर्यंत करता रहता है। स्कूल फैकेल्टी को एक लेखक और उसके लेखन कार्य को जानने और समझने के लिए इस प्रकार के कार्यक्रम मददगार होते हैं और उसका फायदा यकीनन विद्यार्थियों को मिलता है। इसी कड़ी में लेखन क्षेत्र के विविध माइनों को समझने के लिए इस कार्यक्रम का आयोजन शाला प्रबंधन द्वारा रखा गया है।

कार्यक्रम में मुख्य वक्ता दुष्यंत ने अपने विचारों के माध्यम से एक लेखक की विभिन्न चुनौतियां और अवसरों को बताया। उन्होंने कहा कि एक लेखक को अपनी बात कहने का अवसर ढूंढना चाहिए तथा अपनी मन की खुशी के लिए लेखन कार्य करना चाहिए। एक लेखक के लिए कथ्य, भाषा और धन के साथ सामंजस्य बैठाने की चुनौती होती है। मन के काम और जीविकोपार्जन के पेशे के बीच में हमेशा चुनौती होती है परंतु काम के तौर पर जब शौक, जुनून और पेशा एक हो जाते हैं तो इस चुनौती से मुक्ति मुक्ति मिल जाती है। उन्होंने कहा कि कुछ काम धन के लिए होते हैं और कुछ मन के लिए पर मेहनत दोनों में ही लगती है और संतुष्टि तो केवल मन के काम से ही मिलती है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में शुद्ध साहित्य की दुनिया में काफी बदलाव आए हैं। इसमें अनेक अवसर मौजूद है। हमें अपनी भावी पीढ़ी को इसकी तरफ मोड़ना होगा इसके लिए स्कूलों को अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी।

कार्यक्रम में श्री वरिष्ठ पत्रकार सरल विशारद, प्रख्यात लेखक, रंगकर्मी और पत्रकार मधु आचार्य “आशावादी”, राजेंद्र जोशी, राजाराम स्वर्णकार,चंद्रकुमारजी, अविनाश जोशी,अनुराग हर्ष, अजय जोशी, संजय पुरोहित, चंद्रशेखर श्रीमाली तथा महिपाल सरस्वत सहित बीकानेर की अनेक गणमान्य हस्तियां मौजूद थी।

Author