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बीकानेर,एक पेड़ मां के नाम अभियान के तहत सेवा पखवाड़े के दौरान बीकानेर वन मंडल के कोलायत स्थित लव कुश वाटिका में एक साथ पांच हजार पौधे लगाए गए। इनमें रोहिड़ा के एक हजार पौधों का रोपण किया गया।
उपवन संरक्षक लखन सिंह ने बताया कि ‘मारवाड़ टीक’ के नाम से पहचाने जाने वाला यह पौधा जिले की सांस्कृतिक और पारिस्थितिकी पहचान है। रोहिड़ा का इतनी बड़े स्तर पर एक ही दिन और एक ही स्थान पर पौधारोपण पहली बार किया गया है। उन्होंने बताया कि जिला प्रभारी सचिव ने एक हेक्टेयर क्षेत्र में रोहिड़ा का समर्पित ब्लॉक विकसित करने के निर्देश दिए थे। जिला कलेक्टर ने पंच गौरव में शामिल रोहिड़ा के लिए ऐसी कार्यवाही के लिए निर्देशित किया था।
उन्होंने बताया कि भविष्य में इस वाटिका में रोहिड़ा के केसरिया फूल खिलेंगे, तो यह स्थान पर्यावरणीय दृष्टि के साथ सौंदर्य और सांस्कृतिक महत्व की दृष्टि से भी अद्वितीय बनेगा। शेष पौधों में मुख्य रूप से राज्य वृक्ष खेजड़ी तथा अन्य देशी प्रजातियों के पौधे लगाए गए।खेजड़ी मरुस्थलीय स्थिति का आधार स्तंभ और राजस्थान के ग्रामीण जीवन का अभिनव अंग माना जाता है। इसके अतिरिक्त गंभीर रूप से संकटग्रस्त औषधि प्रजाति गुग्गुल के पौधे भी बड़ी संख्या में लगाए गए, जो जैव विविधता संरक्षण और औषधीय महत्व की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि लव कुश वाटिका केवल पौधारोपण स्थल नहीं बल्कि प्रकृति संरक्षण जैव विविधता संवर्धन और मरुस्थलीय पारिस्थितिकी के अध्ययन का केंद्र बनेगा। लवकुश वाटिका कोलायत में सेवा पखवाड़े के दौरान इन पौधों के रोपण के साथ जिले में पर्यावरण जागरूकता, सेवा भाव और सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण का जीवंत उदाहरण दिया गया। यह पहला आने वाली पीढ़ियों के लिए हरित धरोहर सिद्ध होगी और भविष्य में बीकानेर की पहचान को और अधिक सशक्त बनाएगी।
उन्होंने बताया कि सेवा पखवाड़े के दौरान वन मंडल की विभिन्न नर्सरियों में साफ-सफाई और पौधारोपण का कार्यक्रम भी किया गया।

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