
बीकानेर,गणिवर्य मेहुल प्रभ सागर, मुनि मंथन प्रभ सागर, बाल मुनि मीत प्रभ सागअर, साध्वी दीपमालाश्रीजी, शंखनिधि श्रीजी के सान्निध्य में, शुक्रवार को रांगड़ी चौक के सुगनजी महाराज के उपासरे में सुबह साढ़े पांच बजे से दोपहर साढ़े बारह बजे तक दादा गुरुदेव के इकतीसे का सामूहिक पाठ होगा। गुरुवार को बीकानेर की साध्वीश्री दीपमाला के दस दिन की तपस्या की अनुमोदना की गई। साध्वीजी इससे पूर्व 8 व 30 दिन तथा वर्षीतप सहित अनेक तपस्याएं चुकी है।
प्रवचन- गणिवर्य मेहुल प्रभ सागर म.सा. ने गुरुवार को रांगड़ी चौक के सुगनजी महाराज के उपासरे में चातुर्मासिक प्रवचन में कहा कि आत्म व परमात्मा से कनेक्शन जोड़े तथा शुभ से निर्मल, शुद्ध व बुद्ध की और बढ़े। शुभ प्राप्ति के लिए प्रयास कर जीवन को सार्थक बनाएं। शुभ के लिए प्रयास से अशुभ अपने आप कम हो जाएगा। जीवन में त्याग को महत्व दें। पाप कर्मों के बंधन के कनेक्शन को काटे तथा धर्म-आध्यात्म से कनेक्शन जोड़े। संसार व सांसारिक विषय, भोग, नाते रिश्ते सभी स्वार्थ के है। जब स्वार्थ पूर्ति हो जाती है लोग आपसी कनेक्शन को काट देते है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में पुण्य से प्राप्त सुख, संपत्ति, वैभव, कुल व मानव जीवन में पुण्य को क्षीण नहीं होने दे, पुण्य के बैलेंस को निरंतर वृद्धि करें। पुण्य का बैलेंस कम होने से भविष्य खराब हो सकता है।
गणिवर्य ने दादा गुरुदेव के इकतीसा का श्लोक ’’संवत आठ दो हजारा, आसोज तेरस शुक्रवारा। शुभ मुर्हूत वर सिंह लग्न में, पूर्ण किन्हों बैठ मगन में’’ सुनाते हुए कहा कि इसी बीकानेर की पुण्य धरा पर गुरु भक्त गोपाल दास ने 74 वर्ष पूर्व रचना की थी। उस दिन आसोज बदी तेरस, शुक्रवार संवत 2008 था। वर्षों बाद गुरु इकतीसा की रचना की तिथि पुनः आई है। गुरु इकतीसा के लेखन का 75 वां मंगल प्रवेश हो रहा है। वार व तिथि के सुन्दर योग के स्वर्णिम अवसर पर दादा गुरुदेव देव का सामूहिक इकतीसा का पाठ सर्व मंगलकारी, हितकारी है। उन्होंने बताया कि देश विदेश की हजारों दादा गुरुदेव की दादा बाड़ियों में श्रद्धा-भक्ति भाव के साथ नियमित इकतीसा का पाठ कर श्रावक-श्राविकाएं अपने मनोरथ को प्राप्त कर रहे है।