
बीकानेर,नथूसर गेट स्थित प्राचीन सूर्य मंदिर में इस समय श्राद्ध पक्ष के पावन अवसर पर प्रतिदिन पितृ तर्पण का आयोजन हो रहा है। बीकानेर के प्रख्यात ज्योतिषाचार्य राजेंद्र कुमार व्यास उर्फ ममू महाराज अपने सानिध्य में रोजाना लगभग ढाई घंटे तक विधिविधान से पितरों की पूजा-अर्चना और तर्पण सम्पन्न करवा रहे हैं।
इस आयोजन में कई विद्वान पंडित भी प्रतिदिन भाग ले रहे हैं। पंडित सिद्धार्थ जोशी, राजा व्यास, सुखदेव आचार्य, अरविंद भादानी, जगदीश शर्मा, नवनीत पुरोहित और कान्हा व्यास ने भी तर्पण में सक्रिय रूप से भाग लिया। वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच इन विद्वानों ने परंपरागत विधि से पितरों के लिए जल अर्पण और पूजा-पाठ सम्पन्न किया।
महापुरुषों और शहीदों के नाम से तर्पण
आयोजन की विशेषता यह भी है कि इसमें केवल परिवारजन ही नहीं, बल्कि महापुरुषों, संन्यासियों, दिवंगत ज्योत्सियों ,विद्वान पंडितो और साहित्यकारों के नाम से भी तर्पण किया गया। आने वाली चतुर्दशी तिथि को देश के शहीदों के नाम से विशेष तर्पण किया जाएगा। इस अवसर पर श्रद्धालु शहीदों के बलिदान को नमन करते हुए उनकी आत्मा की शांति के लिए भी अर्पण करेंगे।
धार्मिक वातावरण और श्रद्धालुओं की उपस्थिति
प्रतिदिन सुबह बड़ी संख्या में श्रद्धालु सूर्य मंदिर प्रांगण में पहुंचते हैं। वे शांत वातावरण में दीप प्रज्वलित कर, पितरों का स्मरण करते हुए जल अर्पण और तर्पण में शामिल होते हैं। वैदिक मंत्रों की गूंज, हवन की सुगंध और घी की आहुति से वातावरण पूरी तरह धार्मिक और भक्तिमय हो जाता है। मंदिर परिसर में भीड़भाड़ भले न हो, लेकिन अनुशासन और श्रद्धा के साथ सभी अनुष्ठान सम्पन्न होते हैं।
श्राद्ध पक्ष का महत्व
हिंदू धर्म में श्राद्ध पक्ष, जिसे पितृ पक्ष भी कहा जाता है, पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस कालखंड में पितरों की आत्माएं पृथ्वी पर अपने परिजनों से आशीर्वाद प्राप्त करने हेतु आती हैं। अतः विधिविधान से किया गया तर्पण, पिंडदान और हवन पितरों की तृप्ति का माध्यम बनता है।
विद्वानों का मानना है कि पितृ पक्ष में श्रद्धा और भक्ति भाव से किया गया श्राद्ध न केवल पितृ ऋण से मुक्ति दिलाता है बल्कि परिवार में सुख, शांति और समृद्धि भी लाता है। यही कारण है कि सनातन परंपरा में इस पखवाड़े को विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व प्राप्त है।
धार्मिक वातावरण में आस्था
15 दिन तक चलने वाले इस आयोजन में प्रतिदिन ढाई घंटे तक पूजा-पाठ और तर्पण का क्रम चलता है। इसमें शामिल होने वाले श्रद्धालु अपनी आस्था के साथ अपने पितरों को स्मरण कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का संकल्प लेते हैं। आयोजन से पूरे क्षेत्र में एक धार्मिक वातावरण बन गया है और श्रद्धालु बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ भागीदारी निभा रहे हैं।