
बीकानेर,जीवन की आपाधापी और तनावपूर्ण वातावरण के बीच जब मन को शांति की तलाश होती है, तब ध्यान ही वह साधना है जो हमें भीतर से जोड़ती है। इसी पावन उद्देश्य को लेकर प्रीति क्लब, बीकानेर द्वारा एक विशेष आनापानसति ध्यान कार्यक्रम का आयोजन माहेश्वरी सदन में किया गया।
इस एक घंटे के सत्र में बेंगलुरु से श्रीमती मेनका बागड़ी और अहमदाबाद से श्रीमती शीलू कर्णानी विशेष रूप से वक्ता के रूप में बीकानेर पधारे। दोनों ने सहज भाषा और आत्मीय भाव से आनापानसति ध्यान की अद्भुत विधि सबके सामने रखी।
उन्होंने समझाया कि आनापानसति का अर्थ है, श्वास पर जागरूकता।
जब हम आती-जाती सांस को बस साक्षी भाव से देखते हैं,
तो मन शांत होता है, तनाव मिटता है और भीतर आनंद का उदय होता है।
दोनों वक्ताओं ने अपने निजी अनुभव भी साझा किए और ध्यान साधना के लाभों को गहराई से समझाया। उपस्थित जनों ने भी अपने मन के प्रश्न पूछे, जिनका उत्तर उन्होंने बड़ी सहजता और कुशलता से दिया।
क्लब अध्यक्ष गोपीकिशन पेड़ीवाल ने बताया कि आज सभी सदस्यों ने बड़ी रुचि से भाग लिया और ध्यान के बाद उनके चेहरे पर एक अद्भुत शांति और प्रसन्नता झलक रही थी। उन्होंने विशेष रूप से महिलाओं की उत्साही उपस्थिति की सराहना की।
सचिव रघुवीर झॅंवर, जिन्होंने इस कार्यक्रम का कुशल संचालन भी किया, ने कहा – आनापानसति ध्यान की यह साधना आने वाले दिनों में हम सबके लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध होगी। प्रतिदिन कुछ पल सांस पर सजग रहते हुए जीने से हमारा जीवन अधिक संतुलित, शांत और आनंदमय बनेगा। प्रीति क्लब आगे भी ऐसे समाजोपयोगी कार्यक्रम आयोजित करता रहेगा।
कोषाध्यक्ष बृजमोहन चांडक ने माहेश्वरी सदन ट्रस्ट का आभार व्यक्त किया और बताया कि सदन ने इस कार्यक्रम को सफल बनाने में पूरा सहयोग दिया।
इस अवसर पर समाज के अनेक गणमान्यजन और व्यापारी प्रतिनिधि उपस्थित रहे जिनमें प्रमुख रूप से जुगल राठी (अध्यक्ष, बीकानेर व्यापार उद्योग मंडल), दाउलाल बिन्नानी, रमेश चांडक, शशि बिहानी, आनंद चांडक, भवानी शंकर राठी, मनोज बिहानी, राकेश जाजू, अरुण करनानी, बलकिशन थिरानी सहित बड़ी संख्या में गणमान्य लोग उपस्थित थे।
महिला शक्ति में किरण झॅंवर, प्रिया झॅंवर, सुनीता पेड़ीवाल, अनु पेड़ीवाल, शशि कोठारी, विभा बिहानी और अन्य अनेक बहनों ने अपनी उपस्थिति से कार्यक्रम को सफल बनाया।
इस कार्यक्रम का सार यही रहा कि
ध्यान केवल साधना नहीं, बल्कि जीवन जीने की एक विधा है।
श्वास पर सजग रहना ही सच्चे सुख, शांति और आत्मबल का मार्ग है।