
बीकानेर,छोटी काशी के नाम से विख्यात बीकानेर की जैव विविधता एवं पर्यावरण पर संकट साफ दिखाई दे रहा है भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड मत्स्य पालन पशु पालन डेयरी मंत्रालय भारत सरकार के मानद प्रतिनिधि श्रेयांस बैद ने सक्षम स्तर पर लिखे पत्र में बताया कि हम सभी ने कोरोना काल में ऑक्सीजन के लिए लोगों को मरते हुए देखा है उसी ऑक्सीजन के टैंक कहे जाने वाले सरेह नथानिया की करीब 27 हजार बीघा गोचर उजड़ने की और गतिमान है ।
शहरीकरण का अमलीजामा पहनाने के लिए गोचर को उजाड़ने से वन संपदा एवं जैव विविधता खत्म हो जाएगी राजाओं के समय में गोचर भूमि में एक तृण उठाना भी पाप समझा जाता था गायों के महत्वपूर्ण स्थान की सृजनात्मकता पर आए ऐसे खतरे से सोचते हुए भी बहुत दुख हो रहा है ।
भगवान श्री कृष्ण से लेकर आगामी समय तक में गौ के लिए गोचर छोड़ी जाती रही है जिसे उजड़ना आने वाले समय में बहुत बड़ी विपदा का संकेत है जिसे स्वयंभू समझ रहे उच्चअधिकारी भी समझ नहीं रहें जिसका दंश आने वाले समय में स्थानीय निवासियों को भुगतना पड़ेगा।
प्रदेश के समस्त गौचर,पायतन,ओरण, गे वा, चारागाह तक राजस्व विभाग में दर्ज है ।
महाराजा गंगासिंह यूनिवर्सिटी पर्यावरण विभाग विभागाध्यक्ष प्रो.अनिल कुमार ने बताया कि गोचर केवल लम्बे चौड़े क्षेत्र में फैला भूभाग ही नहीं, यह इंसान से लेकर जीव-जंतुओं, कीट पतंगों, सरीसृपों और पक्षियों की जीवन रेखा है।
एक तरफ सोलर प्लांटों के लिए लाखों पेड़ों को काटा जा रहा है जीव जंतुओं के आवास उजड़े रहे हैं। ऐसे में गोचर यहां की जैव विविधता के प्रमुख अवसान के रूप में विशेष है।
यहां थार की दुर्लभ जैव विविधता का संरक्षण हो रहा है। कई दुलर्भ प्रजातियों की वनस्पति, जीव-जंतु और पक्षी यहां संरक्षित हो रहे है। यह हमारे लिए प्रकृति और पूर्वर्जों का सैकड़ों वर्षों पूर्व दूरदृष्टी के साथ छोड़ा गया वह खजाना है जो अनमोल है।
जैव विविधता की सुरक्षा: वन और वन आवरण को सुरक्षित रखने से जैव विविधता का संरक्षण होता है, जो जलवायु परिवर्तन से लड़ने और सतत विकास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने गोचर/ओरण भूमि के अवैध अतिक्रमण को हटाने और उनके संरक्षण के लिए विभिन्न आदेश जारी किए हैं।
माननीय न्यायालय ने कहा है कि गोचर भूमि का उपयोग केवल निर्धारित उद्देश्यों के लिए ही होना चाहिए और अवैध अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। राजस्थान सरकार को ऐसे मामलों में समय पर कार्रवाई करने और अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश भी दिए गए थे ।
बीकानेर शहर के चारों तरफ रियासतकाल से गोचर की जमीन है पहले यह 45 हजार बीघा के करीब थी चार साल पहले गोचर की भूमि अतिक्रमण की भेंट चढ़ने से बचाने के लिए सभी एकजुट हुए थे जो वर्तमान में करीब 27000 बीघा है जनसहयोग से गोचर की चारदीवारी कराई गई यह 40 किलोमीटर लम्बी दीवार देश में जनसहयोग से निर्मित सबसे लम्बी दीवार है।
गौचर की जमीन नष्ट होने से वन्य जीवों एवं गाय जो हमारी सांस्कृतिक विरासत है एवं आजीविका का मूल स्रोत है उनके चरण के स्थान पर मंडरा रहे खतरे से उनका जीवन यापन खतरे में पड़ जाएगा गोचर को बचाने के लिए समक्ष स्तर पर पत्र प्रेषित किया है।