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बीकानेर जिले की अब आबोहवा शुद्ध नहीं रही। हवा में दिन-प्रतिदिन प्रदूषण बढ़ रहा है। वातावरण में वाहनों के धुएं के कारण आसमान में धुंध-सी छाई हुई है, जिससे अस्थमा और सांस रोगियों को दिक्कत हो रही है। साथ ही बदलते मौसम में अस्थमा रोगियों के लिए परेशानी का सबब बन रही है। हवा में हानिकारक तत्व कार्बन आदि मात्रा बढ़ने से सांस संबंधी समस्याओं के मरीज बढ़ रहे हैं।

15 फीसदी मरीज बढ़े

पीबीएम अस्पताल के श्वसन रोग नाइट्रोजन हाई ऑक्साइड (एनओ- विभाग के आंकड़ों के मुताबिक 2) 80, पार्टीकुलेट (पीएम 2.5)60 पिछले 17 दिन में 4 हजार 287
मरीज अस्पताल पहुंचे हैं, जिसमें से 15 फीसदी अस्थमा के रोगी हैं। दीपावली के बाद अस्थमा रोगियों के बढ़ने की सबसे बड़ी वजह घरों में साफ-सफाई, घरों में जमी मिट्टी है। पटाखों और वाहनों के धुएं से अस्थमा अनियंत्रित हो जाता है।

होना यह चाहिए

नाइट्रोजन हाई ऑक्साइड (एनओ- विभाग के आंकड़ों के मुताबिक 2) 80, पार्टीकुलेट (पीएम 2.5)60 पिछले 17 दिन में 4 हजार 287 माइक्रो मिलीमीटर होना चाहिए जो

शहर में कम हो रहा है। पार्टी कुलेट मेटर-10 का घनत्व 100 माइक्रो मीटर चाहिए जो लगातार बढ़ रहा है। शहर में फड़बाजार क्षेत्र में पार्टी कुलेट मेटर-10 का घनत्व 379.08, जेएनवीसी क्षेत्र में 201.71, मुरलीधर क्षेत्र में 182.89 एवं उदयरामसर में 166.16 पाया गया था। यह पिछले साल जनवरी में एसपी मेडिकल कॉलेज और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जयपुर के साथ मिलकर किए गए सर्वे में रिकॉर्ड किया गया था।

अस्थमा के लक्षण

■ खांसी, सर्दी या एलर्जी होना

■ सीने में खिंचावयाजकड़न महसूस करना

■ सांस लेते समय घबराहट जैसी आवाज आना

बैचेनी महसूस करना

■ सिर का भारी होना, थकावट

■ उल्टी का होना

वाहनों की फैक्ट

दुपहिया वाहन पौने पांच लाख

तिपहिया वाहन 12 हजार

चौपहिया वाहन 1 लाख

ट्रक-ट्रेलर 50 हजार

फैक्ट्रियां 1000

कारखाने 1500

अस्थमा का कारण

घर व आस-पास धूल होना घर में पालतू जानवर का होना

■ वायु प्रदूषण

■ धूम्रपान

तनाव या भय

■ अधिक मात्रा में जंकफूड का सेवन करने से

■ अधिक ठंड लगने से

■ ज्यादा नमक खाने से

■ अनुवांशिकता के कारण

अस्थमा से बचाव के उपाय

■ अस्थमा के मरीज खुले में न लेटें

■ धूल और धुओं से बचाव रखें

■ जरा भी परेशानी होने पर विशेषज्ञ डॉक्टर से उपचार लें

■ अस्थमा की दवा घर पर भी रखें

■ झोलाछाप से उपचार कराने में बचाव करें

विभागाध्यक्ष श्वसन रोग पीबीएम अस्पताल के डॉ. गुंजन सोनी, का कहना तापमान होने से ऑक्साइड ऑफनाइट्रोजन ऑक्साइड ऑफ सल्फर, पर्टिकुलेट मैटर (धूल कण) सतह से ऊपर नहीं उठते हैं। इससे वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) का स्तर लगातार बढ़ने लगता है। सतह पर मौजूद प्रदूषण के कण कोहरा और नमी से मिलकर धुंध बनाते हैं। जहरीली हवा और नमी से मिलकर बना धुआं स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है।

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