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बीकानेर, जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ के गणिवर्य मेहुल प्रभ सागर ने बीकानेर की ढढ्ढा कोटड़ी में मंगलवार को चातुर्मासिक प्रवचन में कहा कि पुण्य संचय करें तथा पापों का विसर्जन करें। पुण्यार्थी का साथ लेना व देना तथा पुण्य के लिए पुरुषार्थ करना चाहिए। पापात्माओं के सहयोग व साथ से पुण्य क्षीण होता है तथा पाप प्रवृति बढती है।
उन्होंने कहा कि क्षमा कल्याणजी महाराज के संदेशों का स्मरण दिलाते हुए तथा दो कहानियों के माध्यम से कहा कि पुण्यशाली के साथ रहने अच्छे दिन शुरू हो सकते है वहीं पापियों के साथ रहने से पुण्य कमजोर व संकट आ सकता है। पाप का फल जरूर मिलता है, लोग हंसते-हंसते पाप कर्म करते है तथा रो-रोकर, कष्ट भोग कर उन्हें पापों का फल चुकाना होता है। पुण्य से सुख, समृद्धि व ऐश्वर्य बढ़ता है वहीं पापांं के उदय होने से व्यक्ति के चेहरे की हंसी समाप्त हो जाती है, उसके चेहरे की हवाइयां उड़ जाती है।
तपस्वियों का अभिनंदन
गणिवर्य मेहुल प्रभ सागर, मंथन प्रभ सागर, मीत प्रभ सागर, साध्वीश्री दीपमाला व शंख निधि के सान्निध्य में आठ की तपस्या करने वाली तान्या पुत्री श्रीपाल-अनिता कोठारी तथा रिंकू बोथरा पत्नी कुश बोथरा का अभिनंदन मंजू धारिवाल, शर्मिला खजांची, खरतरगच्छ महिला परिषद की बीकानेर इकाई अध्यक्ष मनीषा खजांची, भावना बैद डागा ने किया। उधर आठ दिन की तपस्या करने वाले रूपम राखेचा का वरघोड़ा ’’खासोजी’के साथ निकला । तपस्वियों ने भगवान आदिनाथ, चिंतामणि व वैदों के व आसानियों के चौक के महावीरजी के मंदिर में दर्शन किए। तपस्वियों के वरघोड़े में शामिल श्रावक-श्राविकाएं जैन धर्म व तपस्वियों का जयकारा लगा रहे थे। रूपम राखेचा का जैन श्वेताम्बर मूर्ति पूजक पार्श्वचन्द्र गच्छ संघ की ओर से अभिनंदन किया गया।

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