
बीकानेर,मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी द्वारा आलोचना के क्षेत्र में प्रदत्त किया जाने वाला अखिल भारतीय आचार्य रामचन्द्र शुक्ल पुरस्कार भोपाल में आयोजित विशेष समारोह में संस्कृतिकर्मी, कवि, आलोचक और निबंधकार तथा राजभवन मे अतिरिक्त निदेशक डॉ. राजेश कुमार व्यास को प्रदान किया गया। वर्ष 2023 के लिए घोषित यह पुरस्कार डॉ. व्यास को उनकी देशभर में चर्चित रही कृति ‘कलाओं की अंतर्दृष्टि’ पर प्रदान किया गया। साहित्य अकादेमी के सर्वोच्च सम्मान, राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादेमी के सर्वोच्च सूर्यमल शिखर सम्मान, भारत सरकार के प्रतिष्ठित राहुल सांकृत्यायन, भाषा एवं पुस्तकालय विभाग द्वारा ‘हिन्दी सेवी’ आदि बहुत से पुरस्कारों से सम्मानित डॉ. व्यास की 25 मौलिक कृतियां प्रकाशित हैं।
डॉ. व्यास की पुरस्कृत ‘कलाओं की अंतर्दृष्टि’ पुस्तक भारतीय संस्कृति और कलाओं के अनछुए पहलुओं में साहित्य, संगीत, नृत्य, नाट्य, चित्रकला आदि की भारतीय दृष्टि के आंतरिक संसार से परिचय कराती है। कला—संस्कृति की हमारी दृष्टि पर विदेशी प्रभाव के कारण प्राय: पश्चिम के सिद्धान्तों, अवधारणाओं में ही भारतीय संस्कृति और कलाएं समझी और परखी जाती रही है। यह पुस्तक इस दृष्टि से महत्वपूर्ण है कि इसमें भारतीय संस्कृति की अंतर्दृष्टि पर मौलिक चिंतन और मनन के साथ गहन विश्लेषण है। भारतीय संस्कृति के सूक्ष्म तत्वों में ले जाते हुए लेखक ने पुस्तक में भरतमुनि के नाट्यशास्त्र, विष्णुधर्मोत्तर पुराण, शुक्रनीति आदि के महत्वपूर्ण संदर्भ दिए है। इसमें कला—संस्कृति के अन्तः संबंधों की विचार विरासत पर लेखक की मौलिक स्थापनाएं हैं।