Trending Now


 

 

बीकानेर,(एमएनएस) विद्या भारती के तत्वावधान में संचालित आदर्श शिक्षण संस्थान के 23 विद्या मंदिरों के चार दिवसीय सामूहिक आचार्य सम्मेलन (21-24 अगस्त) के तहत शुक्रवार को गंगाशहर स्थित आदर्श विद्या मन्दिर उच्च माध्यमिक विद्यालय में विभिन्न विषयों पर मंथन हुआ। लालेश्वर महादेव मंदिर के अधिष्ठाता विमर्शानंद महाराज, जिला शिक्षा अधिकारी किशनदान चारण, प्रान्त निरीक्षक गंगा विष्णु बिश्नोई, विभाग संघचालक टेकचंद बरड़िया, जिला समिति अध्यक्ष बनवारीलाल सैनी और सचिव मूलचंद सारस्वत ने दीप प्रज्ज्वलन कर इसका शुभारम्भ किया। जिला सचिव मूलचंद सारस्वत ने बताया आचार्य सम्मेलन में 300 आचार्य बन्धु-भगिनी तथा अन्य प्रतिभागी प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। जिला शिक्षा अधिकारी किशनदान ने कहा कि विद्या भारती राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के प्रावधानों को लागू कर रही है, यह सराहनीय हैं। शिक्षा को जीवन से जोड़ना और बच्चों को व्यवहारिक ज्ञान देना ही नीति का उद्देश्य है। विद्या भारती बच्चों को शैक्षिक ज्ञान देने के साथ संस्कार, जिज्ञासा और राष्ट्रभावना का संचार कर रही है। भारत को पुनः विश्वगुरु बनाने का यह प्रयास मार्ग प्रशस्त करेंगे।
विमर्शानंद महाराज ने आचार्य की महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा कि विद्या भारती जिन संस्कारों को लेकर आगे बढ़ रही है, उससे समाज में अच्छे नागरिक तैयार होंगे। उन्होंने कहा कि सच्चा शिक्षक वही है, जो बालक के मन में जिज्ञासा उत्पन्न करे और उसके हृदय को स्पर्श करते हुए शिक्षा प्रदान करे। शिक्षक का कार्य सिर्फ पढ़ाना नहीं, विष्व कल्याण की भावना से जोड़ना है।
मुख्य वक्ता प्रान्त निरीक्षक गंगा विष्णु बिश्नोई ने शिक्षा के भारतीय स्वरूप की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि शिक्षा में भारतीयता लाना ही वास्तविक सार्थकता है। ऐसे प्रयासों से भारत पुनः विश्व गुरु बन सकता है। उन्होंने कहा कि नालंदा और तक्षशिला जैसे शिक्षा केंद्रों ने विश्व को ज्ञान दिया था। आज यदि शिक्षा को पाठ्यक्रम, परीक्षा और समय की बेड़ियों से बाहर लाना है, तो भारतीय शिक्षा पद्धति को अपनाना होगा। शिक्षा के पंचतत्व, सर्वस्पर्शी और आनंदमयी दृष्टि से जोड़ना होगा। उन्होंने बताया कि भारतीय शिक्षा बाल केंद्रित और क्रिया आधारित शिक्षण को वरीयता देती है। आज पुनः हमें उसी परम्परा में लौटने की जरूरत है। विद्या भारती भारतीय शिक्षा पद्धति के पुनर्स्थापन के लिए प्रयत्नशील है।
सम्मेलन के प्रबंध प्रमुख नवल किशोर सैनी ने बताया कि प्रथम दिन विद्यालय के शिक्षण विषयों पर प्रशिक्षण के साथ आचार्यों को भारत माता पूजन, सुलेख, स्पोकन इंग्लिश, नवीन राष्ट्रीय शिक्षा नीति में अध्यापक की भूमिका, विद्या भारती अभिनव पंचपदी, हमारे विद्यालय सामाजिक चेतना के केन्द्र आदि विषयों चर्चा और जानकारी दी गई। उन्होंने बताया कि सम्मेलन में अनेक शैक्षिक विषयों पर मंथन एवं क्रियान्विति पर चर्चा की जाएगी। इस दौरान जगदीश सारड़ा, सुशील संचेती और रामलाल ने भी विचार व्यक्त किए।

Author