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बीकानेर,अंत्योदय नगर (सी-121) की रहने वाली युवती दिव्या कुमारी सिंह पुत्री सुरेन्द्र सिंह चैहान का डेूंगु की बीमारी से निधन हो गया। वे 20 साल की थी तथा बेसिक काॅलेज की द्वितीय वर्ष की छात्रा थीं।स्वर्गीय दिव्या के पिता,भाई दिपांशु सिंह व चाचा नरेन्द्र सिंह ने बताया कि 26 अक्टूबर को दिव्या के बुखार आने पर जिला अस्पताल(सेटेलाइट) में डेंगू की जांच करवाई गई। दूसरे दिन 27 अक्टूबर तक जांच नहीं आने पर उसकी तबीयत बिगड़ गई उसे पी.बी.एम.अस्पताल के लिए रैफर किया गया। पी.बी.एम.अस्पताल में भी उसको एम.आर.आई व सिटी स्केन के पास के आई.सी.यू. में भर्ती करवा दिया। उसके रक्त से पुनः जांच की गई लेकिन उसकी भी रिपोर्ट मृृत्यु से पूर्व तक नहीं आई। सही ईलाज के अभाव में डेंगू के कारण किडनी व लीवर भी खत्म हो गए, जिससे उसकी मृृत्यु हो गई।मृृतका के पिता सुरेन्द्र सिंह ने बताया कि जिला अस्पताल के दवा वितरण केन्द्र नं.2 में बुखार की पैरासिटामोल, एन्टीबाइटिक टेक्सिम सहित अनेक दवाइयों की कमी बताकर बाहर से खरीदने की सलाह दी जा रही है। पहले रोगी को दिखाने में दो तीन घंटें लगते है, वहीं जांच में दो दिन लगते है जिससे रोगियों की हालत बिगड़ रही है। जिला अस्पताल के बरामदें में भी डेंगू की बीमारी से नाक से खून बहते, कराहते लोगों को देखा जा सकता है। जिला अस्पताल में चिकित्सक, प्रयोगशाला सहायक और यहां तक आउट डोर व इंडोर की पर्ची बनाने वाले कर्मचारी भी रोगी की गंभीर अवस्था कहने के बावजूद पर्ची बनाने में देरी करते है। आपातकालीन कक्ष व आई.सी.यू. नर्सिंग स्टाॅफ के भरोसे चलता रहा है। अधिकतर चिकित्सक व मेडिकल स्टाॅफ जिला अस्पताल की बजाए पी.बी.एम. में रोगियों को ले जाने की सलाह देते हैं। पी.बी.एम.अस्पताल में चिकित्सक रोगी के इलाज में एक्सपरीमेंट करते है, कोई अपने भाग्य से ही बच पाता है अन्यथा उसको जिला अस्पताल से दुगनी परेशानी का सामना करना पड़ता है।

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