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बीकानेर,श्रीकोलायत,बीकानेर जिले के श्रीकोलायत उपखंड के मढ कोटड़ी क्षेत्र में अवैध खनन की अंधाधुंध गतिविधियों ने पूरे क्षेत्र की पारिस्थितिकी और जल संरचना को गहरा नुकसान पहुंचाया है। क्षेत्र के चारों ओर फैले खनन ने सैकड़ों वर्षों पुरानी परंपरागत जल संरचनाओं – तालाबों, सरोवरों और बांधों – के कैचमेंट एरिया (जलग्रहण क्षेत्र) को पूरी तरह से तहस-नहस कर दिया है।

मढ कोटड़ी व आसपास के ग्रामीण इलाकों में कई ऐतिहासिक तालाब और सरोवर स्थित हैं, जो बरसात के पानी को संचित कर ग्रामीणों की पेयजल, सिंचाई और पशुधन की आवश्यकताओं को पूरा करते रहे हैं। लेकिन आज इन जलस्रोतों के आसपास बड़े-बड़े खनन गड्ढे खोद दिए गए हैं, जिससे वर्षाजल सीधे इन गड्ढों में जाकर व्यर्थ हो जाता है और पारंपरिक जलसंचयन प्रणाली बेकार हो गई है।

प्रमुख समस्याएं:

कैचमेंट एरिया अवरुद्ध: लगभग सभी पुराने तालाबों और बांधों के जलग्रहण क्षेत्र खनन माफिया द्वारा खुदवाए गए गहरे गड्ढों और मिट्टी हटाने से अवरुद्ध हो चुके हैं।

जल संरचनाओं का सूखना: वर्षाजल अब इन संरचनाओं तक पहुंच ही नहीं पा रहा, जिससे वे लगातार सूख रहे हैं।

प्राकृतिक जल चक्र प्रभावित: जल संरक्षण की पारंपरिक प्रणाली टूटने से क्षेत्र के भूजल स्तर में भारी गिरावट आई है।

प्रशासन की अनदेखी: स्थानीय प्रशासन की निष्क्रियता और माइनिंग विभाग की मिलीभगत से यह खनन बेरोकटोक जारी है।

ग्रामीणों का आक्रोश और मांग:
क्षेत्र के जागरूक नागरिकों, किसान संगठनों और जल संरक्षण कार्यकर्ताओं ने इस स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए राजस्थान सरकार से मांग की है कि:

1. क्षेत्र में चल रहे सभी अवैध खनन कार्यों पर तत्काल रोक लगाई जाए।

2. पारंपरिक जल स्रोतों के कैचमेंट एरिया को पुनः बहाल किया जाए।

3. जिम्मेदार खनन मालिकों और अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए।

4. मढ कोटड़ी और आसपास के क्षेत्रों को “संवेदनशील जल क्षेत्र” घोषित किया जाए।

यदि समय रहते आवश्यक कार्रवाई नहीं की गई तो मढ कोटड़ी जैसे क्षेत्र जहां सदियों से कपिल सरोवर सहित अन्य तालाबों के जल संरक्षण की समृद्ध परंपरा रही है, वे पूरी तरह से जलविहीन और खनन में विलुप्त श्वेत हो जाएंगे। यह न केवल पर्यावरणीय संकट होगा, बल्कि हजारों ग्रामीणों की पशुओं ओर पक्षियों की आने वाले समय में जीवन पर भी संकट खड़ा कर देगा।
दलीप सिंह राजपुरोहित एडवोकेट श्री कोलायत

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