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बीकानेर,जोधपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के अधीनस्थ 33/11 केवी जीएसएस उदरासर में कार्यरत संविदाकर्मी मुनिराज पुत्र हनुमानराम, निवासी ग्राम उदरासर, तहसील डूंगरगढ़, दिनांक 28 जुलाई 2025 को ड्यूटी के दौरान एक गंभीर विद्युत दुर्घटना का शिकार हो गए। उन्हें बिजली के पोल में फॉल्ट सुधारने हेतु जेईएन  नारायण शुक्ला द्वारा भेजा गया था।

जब मुनिराज पोल पर चढ़कर कार्य कर रहे थे, उसी समय जीएसएस पर पदस्थापित विभागीय कर्मचारी भंवरलाल द्वारा बिना किसी पूर्व सूचना के बिजली आपूर्ति चालू कर दी गई। इसके परिणामस्वरूप मुनिराज करंट की चपेट में आकर बुरी तरह से झुलस गए और नीचे गिर पड़े। यह दुर्घटना विभागीय लापरवाही और सुरक्षा मानकों की अवहेलना का स्पष्ट उदाहरण है।

घटना के बाद घायल मुनिराज को तत्काल बीकानेर स्थित पीबीएम अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया, जहाँ वे वर्तमान में जीवन रक्षक चिकित्सा के अंतर्गत भर्ती हैं। उनकी हालत नाजुक बनी हुई है और परिवार बेहद परेशान है।

उक्त गंभीर स्थिति को देखते हुए विप्र फाउंडेशन बीकानेर की ओर से एक प्रतिनिधिमंडल ने आज जिला कलेक्टर  को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में मांग की गई कि घायल  मुनिराज को समुचित विशेषज्ञ चिकित्सा सुविधा तुरंत उपलब्ध करवाई जाए और किसी भी स्तर पर लापरवाही न हो। साथ ही ज्ञापन में यह भी मांग की गई कि विभागीय लापरवाही के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध कठोर विभागीय व कानूनी कार्यवाही की जाए। पीड़ित को समुचित मुआवजा तथा परिवार के एक सदस्य को अनुकंपा नियुक्ति के माध्यम से सरकारी/ठेका सेवा में रोजगार दिलवाया जाए।

ज्ञापन सौंपने के दौरान विप्र फाउंडेशन के राष्ट्रीय सचिव व जॉन प्रभारी भंवर पुरोहित, प्रदेश अध्यक्ष (जोन 1 बी)  धनसुख सारस्वत, जिला अध्यक्ष किशन कुमार जोशी, जिला संगठन महामंत्री अमित व्यास, प्रदेश युवा संगठन महामंत्री दिनेश ओझा, जिला युवा अध्यक्ष पंकज पीपलवा तथा वरिष्ठ कार्यकर्ता आशाराम जोशी उपस्थित रहे। इसके अतिरिक्त संगठन से जुड़े कार्यकर्ता भी प्रतिनिधिमंडल में सम्मिलित हुए, जिनमें प्रमुख रूप से विजय पाईवाल, नवनीत पारीक, युवराज व्यास, प्रकाश उपाध्याय, केशव आचार्य, रामरतन जोशी, पंकज ओझा, राम कुमार स्वामी, अनुराग कठातला (रोड़ा) एवं संजीव सारस्वत सम्मिलित थे।

सभी प्रतिनिधियों ने सामूहिक रूप से प्रशासन से अनुरोध किया कि इस गंभीर प्रकरण में शीघ्र और प्रभावी कार्यवाही सुनिश्चित की जाए, ताकि एक संविदा कर्मचारी को न्याय मिल सके और भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके।

विप्र फाउंडेशन ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि शीघ्र राहत और कार्रवाई नहीं की गई, तो संगठन द्वारा जनआंदोलन की राह भी अपनाई जा सकती है। प्रशासन से संवेदनशीलता और तत्परता की अपेक्षा की जाती है।

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