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बीकानेर,स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय का 39 वां स्थापना दिवस शुक्रवार को समारोहपूर्वक आयोजित किया गया। विश्वविद्यालय के विद्या मंडप में आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ अखिल रंजन गर्ग ने 39 वें स्थापना दिवस की बधाई दी। उन्होंने कहा कि कृषि विज्ञान में उच्च शिक्षा के साथ विश्वविद्यालयों द्वारा किसानों को तकनीक हस्तांतरण में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। वर्तमान आवश्यकताओं के मद्देनजर विश्वविद्यालय स्थानीय फसलों के अनुसंधान पर जोर दें, जिससे किसान‌ स्थानीयता को अपनाने के लिए प्रेरित हों तथा पोषण अंतर को कम किया जा सकें। उन्होंने कहा कि अपनी जड़ों को पहचानें और आधुनिक तकनीक के साथ मिल कर काम करें।
डॉ गर्ग ने कृषि की आधुनिकतम तकनीकी अपनाते हुए सामूहिक और सामुदायिक कृषि मॉडल को विकसित करने की बात कही, जिससे संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल किया जा सके। विशिष्ट अतिथि और राजुवास के पूर्व कुलपति डॉ गहलोत ने विश्वविद्यालय के संस्थापक कुलपति डॉ के एन नाग मेमोरियल व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि एसकेआरएयू की एक लंबी सफल एवं प्रेरक यात्रा रही है। संस्थापक कुलपति डॉ नाग ने विश्वविद्यालय की स्थापना और विकसित करने की चुनौतियों को बखूबी निभाया। राज्य में कृषि के उत्थान में कृषि विश्वविद्यालयों की भूमिका अग्रणी है। पानी की कमी जैसी चुनौतियों के बावजूद तकनीकी सहायता से प्रदेश में कृषि की उपज में ऐतिहासिक बढ़ोतरी हुई है। मोटे अनाज, सरसों जैसी फसलों में राज्य प्रथम, दलहन तिलहन, जीरा उत्पादन में दूसरे स्थान पर तथा दूध उत्पादन में अग्रणी राज्यों में है। इसका पूरा श्रेय कृषि वैज्ञानिकों को जाता है जिनके माध्यम से कृषि प्रौद्योगिकी किसानों को हस्तांतरित हुई है। डॉ गहलोत ने कहा कि पानी की कमी, जोत का‌ घटता आकार तथा जलवायु परिवर्तन एक बड़ी चुनौती है। हमें कृषि शोध व अनुसंधान को इस दिशा में ले जाना होगा जहां इन‌ चुनौतियों का सामना किया जा सके। एसकेआरएयू को भी पश्चिमी राजस्थान की वर्तमान कृषि परिस्थितियों के अनुरूप कार्य करने के लिए प्रतिबद्ध होना होगा।
एसकेआरएयू के कुलगुरु डॉ अरुण कुमार ने कहा कि कृषि शिक्षा, शोध व अनुसंधान के क्षेत्र में गौरवशाली 38 वर्ष इस विश्वविद्यालय की धरोहर है। क्षेत्र के किसानों की आर्थिक सामाजिक समृद्धि के मूल ध्येय के साथ विश्वविद्यालय कृषक कल्याण के लिए सतत प्रयासरत रहा है। विश्वविद्यालय से निकले विद्यार्थियों ने देश दुनिया के हर कोने में अपना परचम लहराया है। यह विश्विद्यालय के लिए गौरव का विषय है। उन्होंने एसकेआरएयू के वैज्ञानिकों , प्रोफेसर्स , विद्यार्थियों और कार्मिकों को विश्विद्यालय की उपलब्धियों के लिए बधाई देते हुए राष्ट्र निर्माण में अपना सर्वेस्व योगदान देने का आव्हान किया।
वित्त नियंत्रक पवन कस्वां ने कहा कि विश्वविद्यालय ने कृषि शोध अनुसंधान में नये कीर्तिमान स्थापित किए हैं। शिक्षा का लाभ समाज की अंतिम पंक्ति तक पहुंचाने में अहम योगदान के लिए यहां के वैज्ञानिक बधाई के पात्र है।
विभिन्न सम्बद्ध महाविद्यालयों में वाद विवाद, एक्सटेम्पर, पोस्टर, संगीत , नृत्य प्रतियोगिताओं के विजेताओं का सम्मान किया गया। डॉ एच एल देशवाल ने स्वागत उद्बोधन और प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।‌ अकादमिक एक्सीलेंस के लिए मानवजीत सिंह तथा बुलबुल को चौधरी चरणसिंह स्मृति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन विवेक व्यास और डॉ मंजू कंवर राठौड़ ने किया। इस दौरान अधिष्ठाता, किसान और विश्वविद्यालय के विद्यार्थी उपस्थित रहे। डॉ सीमा त्यागी ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
*प्रदर्शनी आयोजित*
समारोह में विश्वविद्यालय के विभिन्न कार्यों, शोध अनुसंधान, कृषि उपकरणों, उन्नत बीज, मूल्य संवर्धन उत्पादों आदि पर आधारित प्रदर्शनी भी आकर्षण का केंद्र रही। अतिथियों ने प्रदर्शनी का अवलोकन कर सराहना की।

*विश्वविद्यालय में तैयार होगा खेजड़ी का एक ब्लॉक*,*स्थापना दिवस के अवसर पर लगाए गए खेजड़ी के 251 पौधे*

विश्वविद्यालय में खेजड़ी का एक पूरा ब्लॉक तैयार किया जाएगा। इसी संदर्भ में स्थापना दिवस के अवसर पर शुक्रवार को विश्वविद्यालय परिसर में देशी खेजड़ी तथा थार शोभा खेजड़ी के 251 पौधों का वैज्ञानिक विधि से रोपण किया गया। कुलगुरु डॉ अरुण कुमार, रजिस्ट्रार डॉ देवाराम सैनी और वित्त नियंत्रक पवन कस्वां सहित डीन डायरेक्टर्स द्वारा वृहद स्तर पर पौधारोपण किया गया। कार्यक्रम संयोजक व भू सदृस्यता और राजस्व सृजन विभाग निदेशक डॉ पी के यादव ने बताया कि राज्य सरकार के हरियालो राजस्थान अभियान के तहत वृहद स्तर पर यह पौधारोपण किया गया है। पौधारोपण कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के शैक्षणिक गैर शैक्षणिक तथा विद्यार्थियों की भी सक्रिय भागीदारी रही।

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