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बीकानेर. पीबीएम अस्पताल में मरीजों का भार बढऩे से दवाओं की खपत बढ़ गई। ऐसे में अस्पताल के ड्रग वेयर हाउस दवाओं का स्टॉक करने में कम पडऩे लगा है। कोरोना काल में अचानक से दवाइयों की खपत बढऩे पर परेशानी हुई थी। अब डेंगू के प्रकोप में भी फिर परेशानी हो रही है। एेसे में सरकार ने दवा का एडवांस स्टॉक रखने के लिए पीबीएम अस्पताल में एक और आधुनिक ड्रग वेयर हाउस बनाने के लिए प्रोजेक्ट तैयार कराया है। जो पीबीएम अस्पताल प्रबंधन ने राज्य सरकार को भेज दिया है।
एसपी मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने करीब एक करोड़ ८० लाख रुपए का प्रस्ताव भेजा हैं। यह सरकार ने ही तैयार करवाया है एेसे में जल्द ही स्वीकृति मिलने की उम्मीद है। इसके बाद ड्रग वेयर हाउस का निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा। नया ड्रग वेयर हाउस बनने पर पीबीएम अस्पताल में करीब दस माह तक की जरूरत के अनुसार दवाओं का स्टॉक किया जा सकेगा। नया ड्रग वेयर हाउस ४८ गुणा १20 फीट साइज का बनेगा।

डेंगू के चलते नागौर व भरतपुर से मंगवाई दवाएं

अब डेंगू का प्रकोप बढऩे पर अस्पताल में जरूरी दवाइयों की कमी हो गई है। दवाइयों की खपत दो से तीन गुणा तक बढ़ गई है। एेसे में नागौर व भरतपुर में डेंगू ज्यादा फैला नहीं होने से वहां से बीकानेर दवाइयां मंगवाई गई है। वहां से सिफोटेक्सिम इंजेक्शन पांच हजार, एनएस (ग्लूकोज) 2०० कार्टन, सीरिंज १० हजार मंगवाई है।

अभी हालात है यह
वर्तमान ड्रग वेयर हाउस अभी के हालातों के मद्देनजर काफी छोटा पडऩे लगा है। इसमें तीन माह तक की दवाओं का स्टॉक किया जा सकता है। कोरोना व डेंगू सहित अन्य मौसमी बीमारियों के दरम्यिान दवाओं की खपत बढऩे पर यह स्टॉक चंद दिन में ही समाप्त हो जाता है। मौजूदा ड्रग वेयर हाउस के साथ जिरियाट्रिक अस्पताल के वार्ड व गैलरियों, पीएमआर एवं कॉलेज के परीक्षा हॉल में रखा हुआ है। नया ड्रग वेयर हाउस बनने से आइवी फ्लूड, सीरिंज, आइवी सेट, ग्लव्ज, सर्किकल कैंप सहित अन्य सामान को मुख्य ड्रग हाउस में रखा जा सकेगा।
मुख्य ड्रग वेयर हाउस की क्षमता
– करीब १० से १५ दवाओं का तीन महीने तक का स्टॉक किया जा सकता है। वेयरहाउस में इंजेक्शन व कुछ दवाइयों को ठंडक में रखने के लिए एक डब्ल्यूआइसी, तीन एसी रूम बने हुए हैं। बड़े हॉल में दवाइयों के कार्टन रखे जा रहे हैं। ड्रग वेयर हाउस ५० गुणा १७० फीट में है। परिसर में प्रशासनिक भवन भी बना हुआ है।

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