
बीकानेर,गच्छाधिपति आचार्य प्रवर जिनमणि प्रभ सूरीश्वरजी महाराज के आज्ञानुवर्ती गच्छाधिपति आचार्य प्रवर श्री जिन मणि प्रभ सूरीश्वरजी महाराज के आज्ञानुवर्ती गणिवर्य श्री मेहुल प्रभ सागर म.सा., मंथन प्रभ सागर, बाल मुनि मीत प्रभ सागर, साध्वी दीपमाला श्रीजी व शंखनिधि के सान्निध्य मे शनिवार को ढढ्ढा कोटड़ी में जैन धर्म में 16 महासतियों की गौरव गाथा की संगीतमय प्रेरणादायक प्रस्तुति व स्पर्द्धा हुई।
गौरव गाथा की प्रस्तुति में साध्वीश्री दीपमाला व शंखनिधि म.सा ने बताया कि जैन धर्म में 16 महासतियों में ब्राह्मी, सुन्दरी, चंदन बाला, राजिमति उर्फ राजुल, दे्रपदी, कौशल्या, मृगावती, सुलसा, सीता, सुभ्रदा, शिवा, कुंती, दमयंती, पुष्पचूला, प्रभावती और पदमावती महासति जैन धर्म में महिलाओं के लिए आदर्श मानी जाती है । सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट व श्री अखिल भारतीय खरतरगच्छ युवा परिषद की बीकानेर इकाई के संयुक्त तत्वावधान में सकलश्री संघ के सहयोग से आयोजित चातुर्मास की इस प्रस्तुति को देखकर श्रावक-श्राविकाएं भाव विभोर हो गए।
प्रस्तुति में भजनों व प्रेरणादायक जिनशासन के गीतों के माध्यम से जानकारी दी गई कि जैन धर्म की महा सतियों में ब्राह्मी ने अवसर्पिणीकाल काल की पहली साध्वी जिन्होंने 3 लाख साध्वियों का नेतृत्य किया। महासति सुन्दरी ने 60 आयम्बिल का कठोर तप किया वहीं महासति चंदन बालान ने प्रभु महावीर की 36 हजार साध्वियों में सबसे पहला स्थान हासिल किया। वहीं महासति राजिमती ने नेमकुमार का पथ अनुसरण कर संयम ग्रहण किया, केवलज्ञान और मोक्ष पाया। महासति द्रोपदी पूर्व जन्म की गलती से पांच पुरुषों की पत्नी बनी। कौशल्या राम का बनवास गमन की बात सुनकर भी कैकेयी के प्रति दूरभाव नहीं लाई। मृगावती राजा शतानीक की रानी जिन्होंने वीर की शिक्षा सुनी। सुलसा ने अनागत चोविशी में 15 वें तीर्थंकर निर्मम के नाम से बनने वाली महासती थी। महासती सीता राजा जनक की शीलवती पुत्री भगवान श्री राम की अर्धागिंनी बनी । सुभ्रदा बौद्ध परिवार में विवाह होने पर भी जैनत्व के संस्कार बनाए रखा। महासति शिवासती चेटक राजा की पुत्री और चंड प्रद्योत राजा की पत्नी, कुंती ने :विपति के समय पुत्रों का साथ दिया, महासती दमयंती ने राजा नल द्वारा सब जुए में हारने के बाद उनके साथ वन में गई। महासति पुष्पचूला का सगे भाई से कर्मवश अनिच्छनीय संबंध बंधे, महासति प्रभावती व पद्मावती का जैनेतर समाज में भी श्रद्धा व सम्मान है।
अखिल भारतीय खरतरगच्छ युवा परिषद की बीकानेर इकाई की मंत्री लीला बेगानी ने बताया कि 16 महासतियों की प्रतियोगिता में सारिका गुलगुलिया प्रथम, ज्योति सेठी द्वितीय तथा रूचिका खजांची तृतीय रही। साध्वीश्री दीपमाला व शंखनिधि ने सभी प्रतिभागियों को आशीर्वाद तथा सुश्राविका अंजुमाला, सुश्रावक कंवर लाल खजांची परिवार की ओर से पुरस्कार प्रदान किया गया। अखिल भारतीय खरतरगच्छ युवा परिषद की बीकानेर इकाई के उपाध्यक्ष कमल सेठिया ने बताया कि रविवार को सुबह नौ बजे बच्चों की प्रस्तुति तथा दोपहर को ढढ्ढा कोटड़ी में शिविर आयोजित किया जाएगा।