
बीकानेर,राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र, बीकानेर में अश्व पालन पर चार दिवसीय कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आज समापन हुआ | कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए केन्द्र के प्रभागाध्यक्ष डॉ एस सी मेहता ने कहा की अश्व पालन को बढ़ावा देने के लिए स्वदेशी अश्व -स्पर्धाओं, जैसे तांगा रेस, रेडी रेस, घोड़ों के साथ बैलों की रेस आदि को बढ़ावा दें एवं स्वदेशी घोड़ों के लिए रेस कोर्स एवं अन्य सुविधाओं का निर्माण करें एवं हर छोटे बड़े शहर में हॉर्स राइडिंग स्कूल प्रारम्भ करने का प्रयास करें. उन्होंने हर जिले में घोड़ों को बढ़ावा देने के लिए संघठन बनाने का आह्वान भी किया. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डीन वेटरनरी कॉलेज डॉ हेमंत दाधीच थे | उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि घोड़ों का महत्व पुरातन काल से आज तक कायम है. यह समाज में एक विशिष्ठ स्थान रखता है एवं इसको बढ़ावा देने के लिये विश्वविद्यालय एवं अश्व अनुसंधान केंद्र अलग अलग नहीं हैं. आप अश्व पालन में नवाचार करें. कार्यक्रम में राजस्थान, पंजाब, दिल्ली एवं उत्तरप्रदेश के कुल 27 अश्व पालकों ने भाग लिया | इस कार्यक्रम में किसानों को अश्व पालन, अश्व पोषण प्रबंधन, अश्व प्रजनन और अश्व प्राथमिक उपचार का प्रशिक्षण दिया गया | यह कार्यक्रम पूर्णतया किसानों के द्वारा स्व-पोषित था | इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रधान वैज्ञानिक डॉ रमेश कुमार देदड, वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ तिरुमला राव ताल्लुरी, वैज्ञानिक डॉ मुहम्मद कुट्टी, फार्म प्रबंधक डॉ जितेन्द्र सिंह एवं श्री एस एन पासवान की प्रमुख भूमिका रही |