
बीकानेर,आज संसार में हमारे ग्र्रह पृथ्वी पर पर्यावरण का संकट जीव जगत (मानव सहित) के लिए एक चुनौती बन गई है। अतः इस चुनौती के निराकरण के लिए पर्यावरण को शुद्ध एवं पवित्र बनाने के लिए प्रत्येक मानव मात्र को आगे आ कर पौधे लगाने चाहिए। अगर हम यह कहें कि यह संकट जीवन की चुनौती बन गई है तो इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। इसका मुख्य कारण मनुष्य जाति स्वयं बनती जा रही है। क्योंकि हम निरन्तर विकास के नाम पर प्राकृतिक संसाधनों को नष्ट कर रहे हैं। विकास भी मनुष्य जीवन में जरूरी है। लेकिन विकास के साथ-साथ प्राकृतिक संसाधनों का बचाना विकास से पहले अत्यंत जरूरी है, अन्यथा आने वाला समय मनुष्य जाति के लिए बेहद पीड़ादायक होगा। मनुष्य जाति ने अपनी निजी स्वार्थों के कारण ध्वनि प्रदूषण, वायु, जल, मृदा प्रदूषण आदि पर बिना विचार किये आगे बढ़ने की जो होड़ प्रारम्भ की है, ये मनुष्य जीवन के लिए एवं सम्पूर्ण विश्व प्रजाति के लिए पीड़ादायक है। अतः समय रहते हुए इन प्रदूषणों से मुक्त होकर विकास की ओर बढ़ना होगा। एक सर्वे रिपोर्ट (जलवायु परिवर्तन 1750 के बाद में) में इस बात की पुष्टि की है कि पृथ्वी 527 पीपीएम के घनत्व पर पहुंच चुकी है। जिससे धरती का तापमान 1.55 डिग्री बढ़ चुका है। साथ ही धरती का ग्लोबल तरीके से जलवायु का संतुलन बिगड़ता जा रहा है। अगर पृथ्वी का जलवायु सन्तुलन लगातार अनियंत्रित होता रहा तो मनुष्य जाति को गंभीर संकट के दौर से गुजरना पड़ेगा। इसे हम अपनी सीधी भाषा में पृथ्वी पर जलवायु परिवर्तन (ब्सपउंजम ब्ींदहमेद्ध का नतीजा कह सकते है। इसके दुष्परिणाम जीवजगत एवं मनुष्य जाति भी भुगत रही है। मनुष्य जाति के सामने मुख्यतः दो विकल्प बचे हंै। एक हम धरती पर बचे हुए वनों की कर्तव्यनिष्ठतता से रक्षा करें और दूसरा जगह-जगह पौधारोपण कर एवं पृथ्वी को हरा-भरा कर प्रकृति का श्रृंगार करते हुए पर्यावरण को बचाएं।
उक्त कार्य के लिए प्रत्येक मानव मात्र को विशेष रूप से अपनी भूमिका निभानी होगी। जिसके लिए सामाजिक स्तर पर हमें प्रत्येक गांव-ढाणी, गली-मौहल्लों में वृक्षों को बचाने के लिए वृक्ष मित्र बनकर अपनी भागीदारी निभानी चाहिए। साथ ही हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हर व्यक्ति हर वर्ष कम से कम एक पौधा अवश्य लगाए। क्योंकि 50 वर्ष में एक पेड़:-
ऽ 17.50 लाख रूपय की आॅक्सीजन का उत्पादन एक वृक्ष करता है।
ऽ 41 लाख रूपये का पानी रिसायक्लिंग करता है।
ऽ 300 पेड़ मिलकर एक व्यस्क व्यक्ति के जीवन भर का प्रदूषण खत्म कर सकता है ।
ऽ 35 लाख रूपये की वायु प्रदूषण पर नियंत्रण करता है।
ऽ 3 प्रतिशत के लगभग तापमान कम करता है।
ऽ हर वर्ष 3 कि.ग्रा. कार्बनडाई आॅक्साइड सोखता है।
ऽ 18 लाख रूपये के जमीन के कटाव के खर्च पर रोक करता है।
यानि मानव मात्र को प्रतिवर्ष 7 औषधीय पौधे अवश्य लगाने चाहिए तथा 7 वृक्ष खेजड़ी का लगाकर अपने जीवन का कर्ज चुकाया जा सकता है।
प्रत्येक मानव मात्र को मनुष्य जीवन को पवित्र तरीके से जीने के लिए एक पेड़ अवश्य लगाना चाहिए। क्योंकि अगर पर्यावरण का सन्तुलन सही नहीं रहेगा तो मनुष्य का जीवन भी नहीं रहेगा। वर्तमान समय में अनेक बीमारियां पर्यावरण प्रदूषण के कारण हो रही है। प्रत्येक मानव मात्र को इन बीमारियों से बचने के लिए अपने दैनिक जीवन के 24 घण्टों में से कम से कम आधा घंटा पर्यावरण संरक्षण के लिए देते हुए एक पौधा अवश्य लगाना चाहिए। पेड़ लगाने से अनेकों लाभ होते है। सर्वविदित है कि संसार में ग्लोबल वार्मिंग की रक्षा होगी। दूसरा भारतीय संस्कृति की रक्षा होगी। समस्त संसार के पर्यावरणविदों के संदेश की पालना होगी। हम सभी के पूर्वजों की आत्मा को तर्पण मिलेगा। जो पौधा कल वृक्ष बनेगा, छाया देगा, आॅक्सीजन देगा, फल देगा, पर्यावरण को शुद्ध करेगा, मनुष्यों को अनेक बीमारियों से बचायेगा तो उक्त नेक कार्य को अपना अमूल्य समय निकालकर अवश्य करें।
ये ही मेरा निवेदन राजस्थान के सभी वासियों से वृक्ष अवश्य लगाये और लगाकर उसका संरक्षण अवश्य करें, केवल अपनी प्रसद्धि के लिए आंकड़ो में वृद्वी ना लगायें।