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बीकानेर (राजस्थान): रत्तानी व्यास पंचायत की सुसज्जित बगेची में परम पूज्य भागवत शिरोमणि स्वर्गीय गंगादास की पावन स्मृति में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का सातवां दिवस भक्तिमय रहा। कथा का वाचन पूज्य भगवान दास व्यास के श्रीमुख से हुआ, जिसमें श्रद्धालु भावविभोर हो उठे। कथा के दौरान भगवान श्रीकृष्ण की रासलीला का सजीव चित्रण हुआ, जिसने उपस्थित जनसमुदाय को अलौकिक प्रेम भाव से सराबोर कर दिया। इसके पश्चात कंश वध का वीरतापूर्ण प्रसंग सुनाया गया, जिसने धर्म की विजय और अधर्म के अंत का संदेश दिया।उद्धव प्रसंग में श्रीकृष्ण के गूढ़ ज्ञान और गोपियों की अद्वितीय भक्ति को विस्तार से बताया गया कथा में भगवान दास जी ने बताया कि शरीर की तीन अंतिम अवस्थाएँ होती हैं — कृमि, विट और भस्मी। । ये तीनों अवस्थाएँ इस सत्य की ओर संकेत करती हैं कि शरीर नश्वर है, इसलिए जीवन का वास्तविक उद्देश्य आत्मा की शुद्धि और ईश्वर भक्ति होना चाहिए। वहीं रुक्मिणी विवाह प्रसंग में श्रीकृष्ण की लीला का अनुपम वर्णन हुआ, जिसने भक्तों को उत्सव के वातावरण में डुबो दिया।अंत में सुदामा चरित्र ने दर्शकों की आंखें नम कर दीं। सुदामा और श्रीकृष्ण की मित्रता तथा भगवान की विनम्रता व करुणा ने सभी को गहराई से प्रभावित किया।कथा स्थल पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की उपस्थिति रही, जिनके लिए व्यवस्थाएं अत्यंत अनुशासित एवं सुव्यवस्थित रहीं। यह दिव्य आयोजन न केवल आध्यात्मिक चेतना को जाग्रत कर रहा है, बल्कि समाज में भक्ति, सेवा और सद्भाव का संदेश भी प्रसारित कर रहा है।
आयोजनकर्ता मोंटू महाराज ने बताया आज की पोथी पूजा लाली महाराज और ओमप्रकाश पुरोहित ने सपत्नीक करवाई। कथा की पूर्णाहुति कल हवन के साथ की जाएगी।

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