
बीकानेर,वरिष्ठ मीडियाकर्मी शिव कुमार सोनी सांस्कृतिक पत्रकारिता के पुरोधा पत्रकार हैं। सोनी ने बीकानेर की कला, साहित्य, धार्मिक-आध्यात्मिक व सांस्कृतिक गतिविधियों के बारे में जितना लिखा, उतना बीकानेर में शायद ही किसी पत्रकार ने लिखा हो। सोनी ने सांस्कृतिक के साथ खेल व अन्य समकालीन घटनाओं पर भी अपनी कलम का जादू दिखाकर प्रतिष्ठा हासिल की।
चर्चित आलेख-
बीकानेर के तीन युवा अरविंद बोड़ा, सूर्य प्रकाश सुथार व भानु सोनी के धोलाधार पहाड़ों में 26 मई 1986 को खोने पर जनसता, हिन्दुस्तान व ट्रिब्यून अखबारों में आलेख प्रकाशित हुए। इन 39 वर्ष पूर्व प्रकाशित आलेखों में लापता युवाओं के जाने व वहां खो जाने तक का पूर्ण विवरण प्रकाशित हुआ। इस चर्चित मामले नगर की जनता, लापता हुए परिजनों को वास्तविकता को पता चला ।
देवी उपासक दइया महाराज ने दिया नया जन्म-शिवकुमार सोनी का जन्म 7 जून 1959 को बीकानेर के मैढ़ क्षत्रिय स्वर्णकार सहदेव स्वर्गीय छोटू लाल सुख देवी के परिवार में हुआ। चार बहनों के बाद जन्म लेने के दो तीन दिन बाद ही सोनी गंभीर बीमार हो गए। चिकित्सकों ने उनके माता पिता से कहा कि इस बच्चे के प्रति उम्मीद छोड़ दें और घर ले जाए। अब इस बच्चे की उम्र थोड़ी हैं। माता-पिता घबराकर चिकित्सकों की सलाह पर शिशु शिव कुमार को घर ले आएं। उन्होंने बीकानेर के महान देवी उपासक दाऊ लाल व्यास उर्फ दइया महाराज की साधना स्थल दम्माणी चौक की किराडूओं की गली में ले गए। दइया महाराज ने विशेष साधना-आध्यात्मिक और मंत्रों के बल पर विभिन्न समय झाड़े लगाए तथा उतारे करवाए। रात भर अपने साधना स्थल पर रखा। सुबह नन्हें बालक शिव ने आंख खोली व दो घूंट दूध पिया, उसके बाद स्वास्थ्य में निरंतर सुधार होता गया तथा वर्तमान तक निरोगी जीवन जी रहे है।
अनेक परिवारों ने दिया स्नेह-बीकानेर के बिनानी चौक, दम्माणी चौक, साले की होली चौक में वर्षों तक अपने परिजनों के साथ किराए के मकानों रहे तथा वर्तमान में विश्वकर्मा गेट के बाहर निवास कर रहे है। बाल्यकाल के समय बिजली विभाग में कार्य करने वाले पिता छोटू लालजी खंभे से गिर गए । उनके पूरे शरीर पर प्लास्टर काफी समय रहा उसके बाद वे ठीक हुए। पिता की दुर्घटना से सोनी के जीवन में कुछ करने की कसक जगी। उन दिनों बिजली-पानी आपूर्ति के कनेक्शन बहुत कम घरों में थे। बिजली नहीं होने से लालटेन से पढ़ना पड़ता था। इसी दौरान गली में रहने वाले सुखजी पुरोहित सागरवाला (सागरमल भुजिया) व उनकी धर्म पत्नी सात बेटों व एक पुत्री की धर्मनिष्ठ सहृदयी मां चूकी देवी ने घर में पढ़ने की अनुमति दे दी। फिर सोनी उनके घर के एक सदस्य बन गए। सुखजी व श्रीमती चूकी देवी ने पुत्रों की तरह तथा उनके पुत्रों विष्णु दत्त सहित सभी भाइयों ने सगे भाई जैसा प्रेम व सम्मान दिया तथा धर्म-अध्यात्म के संस्कार दिए। बचपन के संस्कार सोनी में आज भी मौजूद है ये अभक्ष्य लहसुन, प्याज, धूम्रपान से दूर रहे। नियमित घर में पूजा पाठ करना तथा मंदिरों में दर्शन करना दिनचर्या बन गया । यह दिनचर्या पिछले 62 वर्षों से निर्बाध चल रही है। इसके बाद आचार्यों के चौक में स्वर्गीय शिव कृष्ण जी आचार्य ने परिवारिक परिस्थिति को देखते हुए 11 वीं से बी.कॉम तक की शिक्षा के दौरान अपने घर में स्थान दिया। उनके पुत्र ज्योतिषाचार्य सुरेश आचार्य (एस.के.बैंक) 24 घंटें साथ रहकर शिक्षा पूर्ण की । स्वर्गीय शिव कृष्णजी आचार्य परिवार ने भी उच्च संस्कारों के साथ नियमित पढ़ने व आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। सोनी ने प्रारंभिक से लेकर बी.जे.एम.सी.एम.ए.हिन्दी तक की शिक्षा मोहता चौक प्राथमिक स्कूल, एम.एम.स्कूल व सार्दुल स्कूल तथा रामपुरिया कॉलेज, कोटा खुला विश्वविद्यालय से पूर्ण की।
पत्रकारिता की शुरुआत-सोनी ने पत्रकारिता की शुरुआत 1977-1978 में स्वामी रामसुखदासजी के प्रवचन से की। प्रवचन का नियमित संकलन करना तथा उसको बीकानेर के दैनिक युगपक्ष में प्रकाशित करवाना शुरू कर दिया। युगपक्ष के संपादक स्वर्गीय वीरेन्द्र जी सक्सेना, वर्तमान संपादक उमेश जी सक्सेना व स्वर्गीय डॉ.राकेश सक्सेना की प्रेरणा से पत्रकारिता को जीवन में अपनाने का निश्चय कर दिया। खेल, साहित्य व संस्कृति के आलेख भी प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होने से हौसला बढ़ गया । उन दिनों अखबार में काम करने वालों को पारिश्रमिक नाम मात्र मिलता था। ऐसे में पत्रकारिता को पेशा बनाकर आजीविका चलाना कठिन लगता था। वर्ष 1979 में सूचना एवं जनसम्पर्क कार्यालय में बीकानेर में समाचार शाखा में लिपिक नियुक्ति तत्कालीन सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी मनोहर चावला के कार्यकाल में हुई। सूचना एवं जन सम्पर्क कार्यालय में भी अखबारों जैसा कार्य होने से समाचार व आलेख टंकण का कार्य करने तथा पत्रकारिता में डिप्लोमा करने से पत्रकारिता के अनुभव व समझ में निरन्तर वृद्धि हुई। सूचना एवं जनसम्पर्क कार्यालय से 30 जून 2019 में अतिरिक्त प्रशासनिक अधिकारी के पद से सेवा निवृति के बाद सोनी स्वतंत्र पत्रकार, बीकानेर लाइव अखबार के मुख्य संपादक व चैनल हैड के रूप् में सेवाएं दे रहे है। सोनी ने सूचना एवं जनसम्पर्क कार्यालय में कार्य के दौरान इंदिरा गांधी नहर का हेड टू टेल तक दौरा किया तथा अनेक विशिष्ट जनों की कवरेज की।
सांस्कृतिक पत्रकार की सेवाएं-बीकानेर में राजस्थान पत्रिका का प्रकाशन 1987 में शुरू हुआ। संपादक सुप्रसिद्ध पत्रकार ओम जी थानवी थे। उस वक्त अखबार में सांस्कृतिक खबरों को स्थान नहीं मिल रहा था। एक दिन ओमजी से मुलाकात कर उन्हें बताया कि बीकानेर साहित्यिक, सांस्कृतिक, धर्म-आध्यात्म की नगरी है। यहां सात वार नौ त्यौहार लोग मनाते है। ऐसे में सांस्कृतिक खबरों को स्थान देने से पत्रिका की प्रतिष्ठा बढेगी। ओमजी पत्रिका समूह के इतवारी पत्रिका में सितम्बर 1988 में बीकानेर के सांसद व महाराजा डॉ.करणी सिंह के निधन के बाद उनके पुत्र स्वर्गीय नरेंद्र सिंह के राजतिलक की की लाइव रिपोर्टिंग को प्रकाशित होने से नाम से ही जानते थे। उन्हें सोनी का सुझाव पसंद आया तथा उन्होंने 7 अक्टूबर 1988 को पत्रिका में सांस्कृतिक संवाददाता के रूप में नियुक्ति दे दी। उनके मार्गदर्शन से बीकानेर के सभी धर्म मजहबों के तीज त्यौहारों, साहित्यिक सांस्कृतिक व कला के कार्यक्रमों की खबरों को स्थान मिलने लगा।
महान पत्रकार के शिष्य-देश के प्रतिष्ठित पत्रकार प्रभाष जोशी के शिष्य सोनी ने लगातार 24 वर्षों तक राजस्थान पत्रिका में सांस्कृतिक संवाददाता के रूप में कार्य किया। सूचना एवं जन सम्पर्क कार्यालय के पूर्व संयुक्त निदेशक स्वर्गीय दिनेश चन्द्र सक्सेना कहते थे सोनी ने पत्रिका में इतना लिखा कि उनके लिखे शब्दों की सड़क बीकानेर से दिल्ली तक बन सकती है। पत्रिका में भी उन दिनों विज्ञापन का बोल बाला नहीं था, अखबार को भरने के लिए खबरों की आवश्यकता होती थी। सोनी के टाइप में माहिर होने के कारण जहां सभी संवाददाता हाथ से खबरे लिखते थे वहीं सोनी टेलीप्रिंटर के रोल पर टाइप कर संपादक तक पहुंचाते थे।
सभी धर्म मजहबों में पहचान- सांस्कृतिक पत्रकार के रूप् में इतनी पहचान बनाई कि बीकानेर के सभी गुरुद्वारों के मुख्य ग्रंथी, लगभग 80 मस्जिदों के इमाम, चारों गिरजाघरों के पादरी तथा सनातन धर्म के मंदिर, मठ, जैन समाज आचार्य स्वर्गीय तुलसी, महाप्रज्ञजी, साधुमार्गी जैन संघ के आचार्य नानालालजी, वर्तमान आचार्य प्रवर रामलालजी, खरतरगच्छ संघ के गच्छाधिपति मणिप्रभ सागर सूरिश्वरजी, मनोज्ञ सागरजी, पीयूष सागर सूरिश्वरजी, तपागच्छ के गच्छाधिपति नित्यानंद सूरीश्वरजी, धर्म धुरंधरजी, शांत क्रांति संघ के आचार्य विजयराजजी, श्रद्धेय स्वामी रामसुख दासजी, धनीनाथ गिरि मठ पंच मंदिर के अधिष्ठाता स्वर्गीय सोमेश्वरानंद भारती, वर्तमान अधिष्ठाता स्वामी विशोकानंद भारती, शिवबाड़ी के लालेश्वर महादेव मंदिर के अधिष्ठाता सोमेश्वरानंद भारती ने व्यक्तिगत पहचान रखते हुए हुए आशीर्वाद दिया।
पत्रकारिता के प्रति समर्पण- पत्रकारिता को जीवन का अभिन्न अंग बनाने वाले सोनी ने मेले, मगरिये, तीज त्यौहार ,धार्मिक, कला साहित्यिक, सांस्कृतिक, सामाजिक गतिविधियों की भी कवरेज व्यक्तिगत कार्यक्रम स्थल पर जाकर की। पहले साइकिल पर, फिर लूना पर उसके बाद मोटर साइकिल पर कवरेज की। बिना कर्न्फम किए व बिना कार्यक्रम स्थल पर जाए उन्होंने कभी रिपोर्टिंग नहीं की। बीकानेर में तत्कालीन संभागीय आयुक्त व वर्तमान राज्य चुनाव आयुक्त मधुकर गुप्ता व उनकी धर्म पत्नी तत्कालीन उप निवेशन आयुक्त श्रीमती किरण सोनी गुप्ता की ओर से जूनागढ़ में आयोजित ’’कलाकुंभ’’ का नाम भी सोनी ने सुझाया था।
बीकानेर व बनारस की संस्कृति जिन्दा- नामी पत्रकार स्वर्गीय प्रभाष जोशी कहते थे कि हिन्दुस्तान में बनारस व बीकानेर शहर ने ही अपनी संस्कृति को जिन्दा रखा है। बीकानेर की संस्कृति को बचाए रखने में सोनी जैसे पत्रकारों का योगदान भी भुलाया नहीं जा सकता। बीकानेर नाट्य प्रस्तुतियों में हिंदुस्तान मे अहम स्थान रखता है। विभिन्न नाट्य संस्थाओं की टाउन हाल आदि स्थानों पर होने वाली को प्रस्तुतियां सोनी के नाट्य स्थल पर पहुंचने के बाद ही शुरू होती थी। सोनी ने बीकानेर की अनेक विशेषताओं को भी कलमबद्ध कर आलेखों के रूप प्रकाशित करवाया।
ताजियों को अकीदत से निकालने की नसीहत-बीकानेर में कलात्मक ताजिए निकलते है। अमूमन लोग कहते मुहर्रम निकला है। सोनी ने उनको लोगों को बताया कि मुर्हरम पूरे माह का नाम है इस माह की निर्धारित तारीख में हजरत इमाम हुसैन के मकबरा के मुबारक के रूप में ताजिए निकलते है। ताजियों के जुलूस के दौरान कुछ नासमझ युवा हुड़दंग करते थे। सोनी ने मोहल्ला व्यापारियान की हुसैनी कमेटी से मिलकर तथा अखबार में खबरे प्रकाशित कर कसाइयों की बारी से चौखूटी कर्बला तक हुड़दंग बंद करवा दिया। वर्तमान में शालीनता से मर्सिया खानी करते हुए लोग अकीदत से ताजिए निकाल रहे है। सोनी ने अपनी कलम से विविध विषयों पर लिखा। स्वर्गीय पद्मश्री अल्लाह जिलाई बाई के गायन, अनेक राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर के कवियों, साहित्यकारों, संगीतकारों, फिल्मी सितारों का कवरेज किया।
सोनी के पत्रकारिता के जीवन के बारे में लिखा जाए तो एक पोथी तैयार हो जाती है। मैं सांस्कृतिक पत्रकार के शिवकुमार सोनी के जन्म दिन पर यशस्वी व तेजस्वी तथा लम्बी उम्र की कामना करते हैं l