
बीकानेर,बीकानेर पश्चिम के विधायक जेठानंद व्यास को जन नायक के रूप में अपने व्यक्तित्व को निखारकर डा. बी.डी, कल्ला के राजनीतिक प्रतिमानों से आगे बढ़कर काम करने की जरूरत है। बीकानेर की राजनीति में उनके खातिर चुनौतियों के बादल अभी से उठने लगे हैं। अपने कार्य प्रणाली में ठोस मुद्दों की राजनीति अपनानी होगी। अन्यथा सत्ता के दलालों और स्वार्थी तत्वों के चंगुल में फसकर छिछौरी राजनीति के चलते विधायक के रूप में यह अवसर हाथ से निकल जाना है।
आपने देखा डा. बी.डी. कल्ला चुनाव हार गए। उनका नाम प्रदेश में कांग्रेस के बड़े नेताओं में शुमार है। वे राजस्थान में कांग्रेस की सरकार में कई बार केबिनेट मंत्री रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भी। कल्ला डाक्टेरट है। वे राजनीति ही नहीं धर्म सस्कृति, समाज विज्ञान समेत विभिन्न विषयों के ज्ञाता भी है। उनका अपना विजन है। कल्ला की बीकानेर में ही नहीं प्रदेश और देश में अपनी पैठ है। कल्ला चुनाव हार क्यों गए ? उनके चुनाव हार जाने के कारणों का यहां विश्लेषण करने की जरूरत नहीं है। उनके सामने वाला प्रत्याशी जेठानंद व्यास चुनाव क्यों जीते हैं? इस बात का विश्लेषण करने की जरूरत है। क्योंकि मतदाताओँ को कल्ला से ज्यादा भाजपा और भाजपा प्रत्याशी से उम्मीदें रही है। इन्हीं उम्मीदों के चलते एक भारी भरकम प्रत्याशी को जनता ने घर भेज दिया। मतदाताओँ ने माना कि व्यास उनकी उम्मीदों पर खरे उतरेंगे। व्यास संघ समर्थित और संघर्ष से उठे व्यक्ति है। वे कल्ला से बेहतर जनप्रतिनिधि होंगे। इसी विश्वास में व्यास को जनता ने भारी मतों से जिताया।
बेशक जेठानंद व्यास लोगों के बीच रहते हैं। कड़ी मेहनत करते हैं। अधिकतम समय लोगों को देते है। जनहित के कामों की बात करते है। जनता की समस्या भी सुनते है। इसका असर धरातल पर दिखाई नहीं देता। सवाल यह है कि उनका विधायक होने का विजन क्या है। वे मुद्दों को कितना समझते है। जो वास्तविक जनहित के मुद्दे हैं उनकी तरफ उनका कितना ध्यान है। विधायक बनते ही कोटगेट पर अण्डर ब्रिज बनाने का मुद्दा उठाया हुआ कुछ भी नहीं। जो पूरवर्ती सरकार करके गई वो बात भी आगे नहीं बढ़ी। बीकानेर विकास प्राधिकरण के मुद्दे पर कलक्टर के आमने सामने हुए। परिणाम क्या हुआ? पीबीएम अस्पताल के अधीक्षक को हटाया। अब अगर वे ई मित्र पर जाकर ज्यादा पैसा लेने का मुद्दा खड़ा करते हैं तो वास्तविक मुद्दों पर वे कब ध्यान दे पाएंगे। बात विधायक की आलोचना करने की नहीं है। उनकी अपने चुनाव क्षेत्र की जनता के प्रति जबावदेही है। उनकी विधायक के रूप में ऊर्जा कहां लग रही है। जेठानंद व्यास जन प्रतिनिधि है क्या वे जनता की उम्मीदों पर खरे उतर रहे हैं। विधायक चुना जाना जितना महत्वपूर्ण है उससे ज्यादा जनता की उम्मीदों पर खरा उतरना है।
अब व्यास को लेकर लोगों की दबी जुबान से निराशाजनक बातें आ रही है। यह बात सही है कि सत्ता के दलाल सबसे पहले सत्तारूढ़ पार्टी के ऐसे नेताओं पर डोरे डालते है। इससे बीकानेर पूर्व विधायक भी बचे या नहीं वो खुद ही इसका आकलन कर सकते है। सत्ता के दलाल तो नेताओं और अफसरों से खूब निकटता दिखाते और अपना एजैण्डा पूरा कर लेते हैं। स्वार्थी लोग भी मीठी मीठी बातें करके अपना हित साध लेते है। नेता भ्रम में रहते है कि वे जनहित में लगे हैं वास्तव वो स्वार्थी लोगों के हित होते हैं। बीकानैर संभाग मुख्यालय है। रियासत काल में रजवाड़ा रहा है। संभाग मुख्यालय के विधायकों की बड़ी जिम्मेदारी होती है। बीकानेर पश्चिम के विधायक व्यास पर बड़ी जिम्मेदारी है। वे इस जिम्मेदारी को पूरा करने की कोशिश करें। अन्यथा उनका राजनीतिक भविष्य चुनौतीपूर्ण होना है। अभी से उनके रैवेय को लेकर खुसर फुसर शुरू हो गई है। वे अपनी ऊर्जा, समय और समर्पण को दिशा दें। जनता के समक्ष विधायक जेठानंद व्यास को जन प्रतिनिधि के रूप में बड़ी लकीर खींचनी चाहिए।